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आगम और सिद्धान्त ग्रन्थों के आधार पर डाँ राजेन्द्रप्रकाश भटनागर, डाँ राजकुमार जैन ने इस आयुर्वेद पृथक् से कार्य किया है । प्राकृत साहित्य की आगम विधा पर स्वतन्त्र अनुसन्धान से आयुर्विज्ञान की विशेष जानकारी मिल सकती हैं । हृदयरोग, कैंसर आदि के उपचार के कई उपाय खोजे जा सकते हैं । प्राकृत में लिखा गया कथा साहित्य इतना विपुल है कि इससे यह विषय अछूता रहा भी नहीं, होगा । इस प्रकार इस इस क्षेत्र में जितना भी अनुसंधान किया जाएगा, उतना ही उपयोगी होगा । नए आयुर्विज्ञान के ग्रन्थ सामने आ सकेंगे ।
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- सन्दर्भ
जैन आयुर्वेद का इतिहास डॉ. राजेन्द्र मोहन भटनागर, उदयपुर
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आयुर्वेद का वैज्ञानिक इतिहास आचार्य प्रियव्रत शर्मा
विपाकसूत्र, आगम प्रकाशन समिति, ब्याबर, १.७
अ) कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन डॉ. प्रेम सुमन जैन, वैशाली आ) जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज - डॉ. जगदीशचन्द्र जैन, वाराणसी
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