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________________ (454) : नंदनवन मद्य दुर्गति का कारण है। (5) मद्य मस्तिष्क के जालकों एवं सक्रियता मद्य चित्त-विभ्रम उत्पन्न नियंत्रक केन्द्रों को प्रभावित कर उन्हें अक्रिय करता है। करता है। यह दृष्टि की तीक्ष्णता एवं मद्य कुयोनिज भोजन है। मस्तिष्क व मांसपेशियों की समन्वय-क्षमता मद्यपायियों की संगति भी कम करता है। दोष जनक है। यह वेदनाहर नहीं है, फिर भी यह वेदना की अनुभूतिगम्यता की सीमा को बढ़ाता है और सुखाभास देता है। 5-6 ग्राम से अधिक मद्य पीने पर मात्रानुसार प्रभाव बढ़ते हैं और बेहोशी तक आ जाती है। इसकी अधिक मात्रा सुषुम्ना को प्रभावित करती है, हृदय की कंपन बढ़ाती है, रक्तचाप बढ़ाती है एवं हृदय-पेशियों को हानि पहुंचाती है। मद्य के प्रभाव से यकृत वसीय अम्लों का संश्लेषण एवं संचय अधिक करने लगता है। इससे भूख कम होती है और गैस बनता है। मद्यपान से मूत्रलता बढ़ती है और मूत्र-नियंत्रक हार्मोन का उत्पादन कम होता है। मद्य वासना का उत्तेजक है। शरीर-तंत्र में मद्य का अधिकांश यकृत में चयापचित होकर ऊष्मा उत्पन्न करता है। लगभग 0.6 लीटर मद्य मारक हो सकता है। 3. उपचार मद्य के व्यसन को दूर करने में मनोवैज्ञानिक विधियों, योग, खानपान-परिवर्तन तथा डाइ-सल्फिराम-जैसी औषधियां सहायक होती हैं। सारणी 4 से यह स्पष्ट है कि मद्य निर्माण के समय वनस्पति कोशिकायें बाहर से डाली जाती हैं। वे विकसित होती हैं और अपनी जनसंख्या में अल्प काल में ही अपार वृद्धि कर लेती हैं। मद्य के किंचित् अधिक सांद्रण होने पर ये कोशिकायें विकृत होकर अक्रिय हो जाती हैं, अधिकांश अवक्षेपित हो जाती है। इसलिए मद्य से और मद्य में जीवोत्पत्ति की बात वैज्ञानिक दृष्टि से तथ्यपूर्ण नहीं है। हां, यह अवश्य है कि आसव, अरिष्ट या अनेक मदिराओं का आसवन नही किया जाता, अतः उनमें एकेन्द्रिय तथा अक्रियकृत वनस्पति कोशिकायें विलयन, कोलायड या निलम्बन के रूप में बनी रहती हैं। लेकिन उत्तम कोटि की मदिराओं के आसवन होने से उनमें यह दोष नहीं पाया जाता। ऐसा प्रतीत होता है कि यह शास्त्रीय विवरण अनासवित मद्यों के आधार पर किया गया है क्योंकि सामान्यजन इनका ही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006597
Book TitleNandanvana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN L Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages592
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size25 MB
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