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________________ वनस्पति और जैन आहार शास्त्र : (437) सारणी 1: विभिन्न ग्रंथों में वनस्पतियों की कोटि और उदाहरण क्र. वनस्पति ___भावपाहुड़ कोटि मू.213* मू.214* धवला वाचक (101) पे. 273 शब्द सूरण, पद्मकन्द सूरण, प्याज, अनन्तकाय कदली, लहसुन, पिंडालु अदरक, हल्दी आदि मूली,,गाजर, अनन्तकाय हल्दी, आदि अदरख 2. मूल हल्दी, अदरक (बीज)* आदि बीज/ बीजबीज* गेहूँ आदि धान्य प्रत्येक/ सचित्त गेहूँ आदि धान्य पुष्प पुष्प पत्र पत्र यत्किमपि अग्रबीज*x विभिन्न फूल प्रत्येक/ अनन्तकाय पान आदि प्रत्येक/ का पत्ता अनन्तकाय विशिष्ट प्रत्येक नारियल, ककड़ी आदि सुपाड़ी प्रत्येक/ कोरंटक/ अनन्तकाय* मल्लिकादि प्रत्येक/ गन्ना , बेत अनन्तकाय आदि। प्रत्येक/ गन्ना, बेंत अनन्तकाय आदि अनन्तकाय स्नुही, गिलोय मल्लिकादि पर्वबीजx स्कंध* गन्ना, बेत आदि मल्लिकी, पलिभाद्रादि मल्लिकाकरंजकादि आदि प्रत्येक 11. छाल/ मुच्छ/ सुपाड़ी आदि गुल्म प्रत्येक फल आर्द्रक मूलक, स्नुगादि 13. वल्ली 14. तृण प्रत्येक प्रत्येक/ अनन्तकाय प्रत्येक/ अनन्तकाय फल विभिन्न तृण वृक्ष (217) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006597
Book TitleNandanvana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN L Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages592
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size25 MB
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