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________________ जैन-विद्याओं में शोध (1983-1993) : एक सर्वेक्षण : (289) अनेक उद्योगों के सम्बन्ध में भी विवरण मिलते हैं। इनके अध्ययन शोध की पर्याप्त सामग्री दे सकते हैं। आहार, शरीर एवं चिकित्सा विज्ञान के विषय अभी तक लगभग अछूते ही हैं। कल्याणकारक पर शोध होना चाहिये। आयुर्वेद के ग्रन्थों की विशाल सूची है। ऐसे ही अन्य अनेक विषयों की ओर ध्यान देना चाहिये। इसके लिये श्रमशील एवं अध्ययनशील शोधकों की आवश्यकता है। निष्कर्ष ___ 1983-1993 के दशक के संक्षिप्त सर्वेक्षण से यह स्पष्ट है कि अभी भी ललित साहित्य और उससे सहचरित विषय जैन विद्या शोध के मुख्य अंग बने हुये हैं। अन्य विषयों के शोध में कुछ सुधार हुआ है, पर यह आशा के अनुकूल नहीं है। मुझे विश्वास है कि अगले दशक में इन क्षेत्रों पर और अधिक उत्साहवर्धक एवं जैन विद्या संवर्धक कार्य होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006597
Book TitleNandanvana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN L Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2005
Total Pages592
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size25 MB
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