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१९. अरिहंत-चेइयाणं सूत्र
सूत्र विभाग वंदण = वंदन करने के, वत्तिआए = निमित्त से पूअण-वत्तिआए = पूजन करने के निमित्त से
पूअण = पूजन करने के, सक्कार-वत्तिआए = सत्कार करने के निमित्त से
सक्कार = सत्कार करने के सम्माण-वत्तिआए = सन्मान करने के निमित्त से
सम्माण = सन्मान करने के, बोहि-लाभ-वत्तिआए = बोधि लाभ के निमित्त से
बोहि = बोधि, लाभ = लाभ के, | निरुवसग-वत्तिआए = निरुपसर्ग स्थिति [मोक्ष प्राप्त करने के निमत्त से
निरुवसग्ग = निरुपसर्ग स्थिति प्राप्त करने के ३.सद्धाए = श्रद्धा / विश्वास से मेहाए = मेधा / बुद्धि से घिईए = धृति से / चित्त की स्वस्थता / मन की एकाग्रता से धारणाए = धारणा से / अविस्मृति से अणुप्पेहाए वड्ढमाणीए = वृद्धि पाती हुई अनुप्रेक्षा / चिंतन से
११७ sutra part
19. arihanta-ceiyanam sutra vandana = to perform obeisance, vattiāe = in order puanavattiae = in order to worship -puana = to worship sakkāra-vattiāe = in order to greet
sakkāra = to greet sammāņa-vattiāe = in order to offer respects
sammāņa = to offer respects bohHabha-vattiae = in order to attain bodhi
bohi = bodhi, lābha = to attain niruvasagga-vattiāe = in order to attain trouble free state (salvation)
niruvasagga = to attain trouble free state, 3.saddhāe = with faith mehāe = with intellect dhile = with peaceful mind/concentration of mind dhāranae = with retention / without forgetting anuppehāe vaddhamanie = with increasing thoughts / concentration (by
thinking again and again] anuppehāe = with thoughts, vaddhamānie = increasing
Pratikramana Sutra With Explanation - Part - 1
अणुप्पेहाए = अनुप्रेक्षा से, वड्ढमाणीए = वृद्धि पाती हुई प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन- भाग-१
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