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प्रस्तावना
Preface वन्दन- नम्रता का प्रतीक है वन्दन. वन्दन यानी नम जाना, जीवन | vandana-vandana [obeisance isasymbol of modesty. vandana means to में अगर नम्रता नहीं होगी तो ज्ञान भी नहीं होगा. आत्मा को ज्ञान के | bow. If there isnomodesty in life then there will be noknowledge also. If there प्रकाश की उपलब्धि में अगर कोई बाधा है तो वह है अहंकार की दिवाल. Jis any obstacle in achieving the light of knowledge in the soul, then it is the wall अहंकार की इस दिवाल को हटाये बिना आत्मा में ज्ञान सूर्य की किरणें | of self-conceit. Without removing this wall, sunrays ofknowledge can not enter नहीं आ सकतीं. व्यक्ति जब तक अहंकार के रोग से ग्रस्त होता है, वहाँ | thesoul.As long asthemanisdiseased withself conceit, so longhe cannotgain तक उसे आत्मा के आरोग्य की प्राप्ति नहीं होती. व्यक्ति चाहे कितना | health of the soul. However much a man may be learned and characteristic भी विद्वान और चारित्रवान साधक हो, किन्तु अगर वह अभिमानी हो | devotee of spiritual achievement, all his efforts will fail if he is self conceited. He तो उसकी सारी साधना विफल हो जाएगी. अहंकार को बिना दूर किये | can never uplift himself without removing self conceit. Even other virtues of वह कभी अपना उद्धार नहीं कर सकेगा. अहंकार की विद्यमानता में | person becomes worthless in presence of self conceit. The rite of disposing off व्यक्ति के शेष सद्गुण भी निरर्थक हो जाते हैं. इस अहं को विसर्जन | this self conceit is vandana. Without disposing self conceit, obeisance can not करने की क्रिया है वन्दन, बिना अहंकार को दूर किये वंदन नहीं हो | bedoneandwithoutobeisancing. man cannotproceed further inselfelevation. सकता और बिना वंदन के व्यक्ति आत्म विकास में आगे बढ़ नहीं सकता.
प्रतिक्रमण - यह अपनी आत्मा द्वारा किये गये अपराधों एवं पापों pratikramana - It is the rite of confessing offenses and sins committed by his के स्वीकार करने एवं पुनः अपनी मर्यादाओं में लौट आने की क्रिया है. | soul and returning backinto self-restrictions.Apersonobserves ethicalconduct व्यक्ति श्रावक धर्म संबंधी आचारों का स्वयं के आत्म विकास के लिये | concerning Sravaka dharma for his own spiritual uplift. But many times an पालन करता है. किन्तु कई बार अपूर्ण व्यक्ति जाने अनजाने में मन, | incomplete man breaks above self-restrictions knowingly or unknowingly by वचन और काया से स्वयं करने, दूसरों से कराने और कई बार अनुमोदन | mind, speech and body by doing himself, by causing others to do and by| द्वारा आचार / मर्यादाओं का भंग कर देता है. इन मर्यादाओं का उल्लंघन | seconding. Breaching of these restrictions is caused in four ways .. चार प्रकार से होता है - १.अतिक्रम, २. व्यतिक्रम, ३. अतिचार एवं | 1. atikrama, 2. vyatikrama, 3. aticāra and 4. anacara. Origin of any type of illप्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन - भाग - १
Pratikramana Sūtra With Explanation - Part - 1
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