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११. जग चिन्तामणि चैत्य-वन्दन
सूत्र विभाग
रिसह सत्तुंजि = शत्रुंजय तीर्थ में विराजित हे श्री ऋषभदेव ! रिसह = हे श्री ऋषभदेव, सत्तुंजि = शत्रुंजय तीर्थ में विराजित
| उज्जिति पहु-नेमि-जिण = गिरनार पर्वत पर विराजित हे श्री नेमिनाथ प्रभु!
उज्जिति = गिरनार पर्वत पर विराजित, पहु = प्रभु, नेमिजिण = हे श्री नेमिनाथ जिनेश्वर
वीर! सच्चउरी मंडण ! = सत्यपुर [सांचोर] के शृंगार रूप हे श्री महावीर स्वामी!
वीर = हे श्री महावीर स्वामी, सच्चउरी = सत्यपुर के मंडण = शृंगार रूप
| भरु-अच्छहिं मुणि-सुव्वय ! = भरूच में विराजित हे श्री मुनिसुव्रत स्वामी!
भरुअच्छहिं = भरूच में विराजित, मुणिसुव्वय = हे श्री मुनिसुव्रत स्वामी
महुरि पास दुह-दुरिअ-खंडण = दुःख और दुरित [ पाप] का नाश करने वाले, मथुरा में विराजित हे श्री पार्श्वनाथ !
महुरि = मथुरा में विराजित, पास = हे श्री पार्श्वनाथ, दुह = प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन भाग १
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sūtra part
11. jaga cintamani caitya-vandana risaha sattunji = oh śri ṛṣabhadeva gracing the pilgrimage centre of satrunjaya! risaha = oh śri rṣabhadeva, sattunji = gracing the pilgrimage centre of śatrunjaya!
ujjinti pahu-nemi-jina = oh śri neminātha prabhu gracing giranara mountain!
ujjinti = gracing giranāra mountain, pahuprabhu, nemijina = oh sri neminātha jineśvara
viral saccauri-mandanal = oh Śrī mahāvīra svami, an ornament of satyapura [sacora ]
vira = oh śri mahāvira svāmi, saccauri = of satyapura, mandana = an
ornament
bharu-acchahim muni-suvvaya! oh śri munisuvrata svāmi gracing
bharūca!
bharu-acchahim = gracing bharuca, munisuvvaya = oh śri munisuvrata svāmi
mahuri-pāsa duha-duria-khandana = oh śri pārsvanatha!, the annihilator of agonies and sins glorifying mathurā
mahuri = gracing mathurā pāsa = oh Śrī pārśvanātha, duha = of
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Pratikramaņa Sūtra With Explanation - Part - 1
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