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________________ 34 (14) (15) (17) (18) (19) Jambū-jyoti Cp. प्रणवो धनुः शरो ह्यात्मा ब्रह्म तल्लक्ष्यमुच्यते, अप्रमत्तेन वेद्धव्यं शरवत् तन्मयो भवेत्... (Md. Up. 2. 2. 4 (20) Cp. इदमस्तीदमपि मे भविष्यति पुन र्धनम्... (16) ....गमिस्सामो भिक्खमाणा कुले कुले.... Cp. पुत्रैषणायाश्च वित्तैषणायाश्च लोकैषणायाश्च व्युत्थायाथ भिक्षाचर्यं चरन्ति... + धनुस्तारं शरो ह्यात्मा... शरवत् तन्मयो भवेत्.... संखचक्कगयाधरे... + संखचक्कयगसत्तिणंदगधरा... Cp. शंखचक्रगदा... धरस्य वै... इमं च मे अत्थि इमं च मे नत्थि, इमं च मे किच्च इमं अकिच्चं ... Bansidhar Bhatt + + Cp. क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत् कवयो वदन्ति... जहा उ चरई मिगे, एवं धम्मं चरिस्सामि... + मिगचारियं चरित्ताणं गच्छइ मिगचारियं... ..ये ह्युपवसन्त्यरण्ये शान्ता विद्वांसो भैक्षचर्यां चरन्तः.... त्रिषु वर्णेषु भिक्षाचर्यं चरेत्... असिधारागमणं चेव दुक्करं चरिउं तवो... + ...गोवन्मृगयते मुनिः.. + गोधर्मा मृगधर्मा वा... न लिप्यते कर्मणा पातकेन वा... ... भासच्छन्ना इवाग्गिणो... + भासच्छण्णो जहा वण्ही... + + Cp.. .... दग्धेन्धनमिवानलम् .... + .. प्रच्छन्नो भस्मनेव हुताशन:.. + ... भस्मच्छन्नमिवानलम् ... + + + + + Jain Education International + मिगचारियं चरिस्सामि सव्वदुक्खविमोक्खणि.... Cp. मृगैः सह परिस्पन्दः संवासस्तेभिरेव च । तैरेव सदृशी वृत्तिः प्रत्यक्षं स्वर्गलक्षणम् ॥ (Bdh. Dh. Su. 3. 2. 19 = 3. 2. 22) + कृच्छ्रां वृत्ति असंहार्यां सामान्यां मृगपक्षिभिः.... (Bdh. Dh. Sū. 3. 3. 21 ) (Sny. Up. 2.78) (Ps. Sū. 5. 18-20) = ... भस्मच्छन्न इवानलः... . भस्मांगवृतांगान् इव हव्यवाहान्... ... गूढोऽग्निरिव दारुषु ... ... यथानलो भस्मवृतश्च वीर्यवान्... . भस्मच्छन्नानिवाग्नी स्तान्... ...जुगमित्तं च खेत्तओ... ...पुरओ जुगमायाए पेहमाणो..... . जुगमायाए पेहाए... For Private & Personal Use Only Dhbd. Up. 14) (Rhd. Up. 38 ) (Utt. 11. 21) (Pvy. 15) (Gputt. Up. 1) (Utt. 14.15 ) (Gt. 16.13) (Utt. 14.26) (Bdā. Up. 4. 4. 23) (Md. Up. 1. 2. 11) (Sny. Up. 1) (Utt. 19.37 ) (Kth. Up. 1. 3. 14) (Utt. 19, 77-80) (Utt. 19. 81-84) (Utt. 19.85) (Utt. 25.18) ( Rs. 15. 1747) (Śv. Up. 6. 19) (MBh. 4. 34.29) (MBh. 4.64.6) (MBh. 3. 262. 30) (MBh. 1. 178. 9) (MBh. 12. 137.40) (MBh. 4. 6.3) (MBh. 13.59.7) (Utt. 24.7) (Daśa. 5. 1.3) (Daśa. 6. 150) www.jainelibrary.org
SR No.006503
Book TitleJambu Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Jitendra B Shah
PublisherKasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages448
LanguageEnglish
ClassificationBook_English, Philosophy, & Religion
File Size21 MB
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