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________________ 28 (5) (6) (7) (8) (9) (10) (11) (12) (13) Jambū-jyoti + इह चेदशकद् बोद्धुं प्राक् शरीरस्य विस्रस:... (Kth. Up. 2. 6. 4) + ...यो वा एतदक्षरन्... अविदित्वास्माल्लोकात् प्रैति स कृपणः... विदित्वा प्रति स ब्राह्मणः... (BdA. 3. 8. 10) + इहैव सन्तोऽथ विद्मस्तद् वयं, न चेदवेदी महती विनष्टि:... + + Bansidhar Bhatt + इह चेदवेदीदथ सत्यमस्ति न चेदिहावेदीन्महती विनष्टि:... .. बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान् मां प्रपद्यते .... दुर्लभं तत्त्वदर्शनम्... कुजए अपराजिए जहा अक्खेहिं कुसलेहिं दीवयं । कडमेव गहाय णो कलिं नो तीयं नो चेव दावरं || एवं लोगम्मिताइणा बुइए जे धम्मे अणुत्तरे । तं हि हियंति उत्तमं कडमिव सेसऽवहाय पंडिए ॥ Cp. कलिः शयानो भवति संजिहानस्तु द्वापरः । उत्तिष्ठत्रेता भवति कृतं संपद्यते चरन् ॥ (Ait. Br. 7. 15. 4=ŚpBr. 190. 17. 18) + उत प्रहामतिदीव्य जयाति कृतं यच्छ्वघ्नी विचिनोति काले.... (RV. 10. 42.9) + उत प्रहामतिदीवा जयति कृतमिव श्वघ्नी विचिनोति काले.... + यथा कृताय विजितायाधरेऽयाः संयन्त्येवमेव... (AV. 7. 50. 6) (Ch. Up. 4. 1. 4) + (MS. 1. 81) Cp....मा गृधः कस्यस्विद् धनम्... (BdĀ. Up. 4. 4. 14 = ŚpBr. 14. 7.2. 15) (Kn. Up. (13) = 2. 4, (Gt. 7.14) (Mh. Up. 4. 77) .. चतुष्पात् सकलो धर्मः सत्यं चैव कृते युगे.... ... गिद्धनरा कामेसु मुच्छिया... Cp. ... असितो देवलो व्यासः... असिलो देविले चेव दीवायण महारिसि... पारासरे... + निम्ममे निरहंकारे... Jain Education International एयम... निम्ममो निरहंकारो चरे भिक्खू.... Cp.... चरति... निर्ममो निरहंकार :... ... किं नु वीरस्स वीरतं... Cp... इन्द्रस्य नु वीर्याणि प्रोवाच... कम्ममेगे पवेदेंति अकम्मं वावि सुव्वया... Cp... किं कर्म किमकर्म... कर्मणो ह्यपि बोद्धव्यं... अकर्मणश्च बोद्धव्यम्... ... जे केई जगई जगा, (तेसिं अत्तुवमायाए)... Cp. (ईशावास्यमिदं सर्वं ) यत् किं च जगत्यां जगत्... ...मणसा कायवक्केण णारंभी... Cp.... यतवाक्कायमानस:... Su. I. 6 "वीरत्थुती" : vs. 6 :- अणुत्तरं तप्पति सूरिए वा... तमं पगासे... For Private & Personal Use Only (Sū. I. 2. 2. 23-24) (Sū. I. 2. 3. 8) (Isa. Up. 1) (Sū. I. 3. 4. 3) (Gt. 10.13) (Sū. I. 9. 6) (Utt. 35.21) (Gt. 2.71) (Sū. I. 8. 1) (Ait. Br. 5.2) (Sū. I. 8. 2) (Gt. 4. 16-17) (Sū. I. 11.33) (īśa. Up. 1 ) (Sū. I. 1. 9. 9) (Gt. 18. 52 ) www.jainelibrary.org
SR No.006503
Book TitleJambu Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Jitendra B Shah
PublisherKasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages448
LanguageEnglish
ClassificationBook_English, Philosophy, & Religion
File Size21 MB
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