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________________ 32 राजनीतिक सहिष्णुता के हेतु जैनर्म की अनेकान्त दृष्टि का उपयोग : आज का राजनैतिक जगत भी वैचारिक संकुलाता से परिपूर्ण हैं। पूंजीवाद, समाजवाद, साम्यबाद, फासिस्टवाद, नाजीवाद, आदि अनेक राजनैतिक विचारपाराएं तथा राजतन्त्र, प्रजातन्त्र, कुलतन्त्र, अधिनायकतन्त्र आदि अनेकानेक शासन प्रणा लियां वर्तमान में प्रचलित है। मात्र इतना ही नहीं उनमें से प्रत्ये क एक दूसरे की समाप्ति के लिए प्रयत्नशील है। विश्व के राष्ट्र खेमों में बटे हुए हैं और प्रत्येक खेमे का अगणी राष्ट्र अपना प्रभाव क्षेत्र बढाने के त दुसरे के विनाश में तत्पर है। मुख्य बात यह है कि आज का राजनैतिक संघर्ष र आर्थिक हितों का संघर्ष न होकर वैचारिकता का संघर्ष है। एक दूसरे को नाम ष करने की उनकी यह महत्वाकांक्षा कहीं मानव जाति को ही नाम--शेष न कर दे। आज फे राजनैतिक जीवन में अनेकान्त के दो व्यावहारिक पलित वैचारिक सहिष्णता और सान्दय अत्यन्त उपादेय हैं। मानव जाति ने राजनैतिक जगत में राजतन्त्र से प्रजातन्त्र तक की जो लम्बी यात्रा तय की है, उसकी सार्थकता अनेकाना दुष्टि को अपनाने में ही है। विरोधी पक्ष के द्वारा की जाने वाली आलोचना के प्रति सहिष्ण होकर उसके द्वारा अपने दोर्षों को समझना और उन्हें दूर करने का प्रयास करना, आज के राजनैतिक जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है। विपक्ष की धारणाओं में भी सत्यता हो सकती है और सबल विरोधी दल की उपस्थिति से हमें अपने दोषों के निराकरण का अच्छा अवसर मिलता है। इस विचार-दृष्टि और सहिष्ण भावना में ही प्रजातन्त्र का भविष्य उज्जवा रह सकता है। राजनैतिक क्षेत्र में संसदीय प्रजातन्त्र (पार्लियामेन्टरी डेमोक्रेसी) वस्तुत: राजनैतिक अनेकान्तवाद है। इस परम्परा में बहुमत का द्वारा गठित सरकार अल्प मत का को अपने विचार प्रस्तुत करने का अधिकार मान्य करती है और यथा सम्भव उससे लाभ भी उजागी है। दार्शनिक क्षेत्र में जहां भारत अनेकान्तवाद का सर्जक है, वहीं, वह राजनेतिक क्षेत्र में संसदीय प्रजातन्त्र का समर्थक भी है। अत: आज अनेकान्त का व्यावहारिक क्षेत्र में उपयोग करने का दायित्व भारतीय राजनीतिज्ञों पर है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006502
Book TitleKeynote Address of Dr Sagarmal Jain at Calcutta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahadeolal Saraogi
PublisherMahadeolal Saraogi
Publication Year
Total Pages72
LanguageEnglish
ClassificationBook_English, Philosophy, & Religion
File Size6 MB
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