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उत्तराध्ययन सूत्र भाग १ छी
विषयानुभशिष्ठा
अनु.
विषय
पाना नं.
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१ भंगलायरा २ उपाधात 3 अध्ययनों में नाम निर्देश ४ विनय हा उपदेश ५ संयोग हे विषय में द्रष्टांत ६ विनीत शिष्याहिता लक्षा ७ विनय के विषय में गुणनिधि शिष्य छा द्रष्टांत ८ अविनीत शिष्य छा लक्षाया और उस विषय में
क्षुद्रमुद्धि शिष्य छा द्रष्टांत ८ द्रष्टांत सहीत अविनीत ला सक्षा और अविनीत
शिष्य डा द्रष्टांत १० अविनीत प्रवृतिमें सूर हा द्रष्टांत श्वानमाहिद्रष्टांत
ठे श्रवार से विनीत शिष्य छा मुर्तव्य ११ विनय डा इल १२ विनय पालन उरने हा उपाय १३ मालपार्श्वस्थाठिों का संसडी निंहना १४ हास्य हिडा डी निंहा १५ ग्रोधवश होर Yठोसना आहिडा निषेध १६ शिष्यठो प्रतिहिन गु३ गित जननेमें तत्पर
रहना याहिये १७ शत्रुभईन राणा द्रष्टांत १८ मशिनाथ जा द्रष्टांत १८ अविनीत और विनीत शिष्य हा मायरा २० यंऽ३द्रायार्थ डे शिष्य छा द्रष्टांत २१ गु३ चित्तानुसारी शिष्य छा द्रष्टांत २२ छोधष्ठो निष्इल सनानेमें द्रष्टांत २३ प्रसंसाभे भुनिछो अपना ठिर्षठा त्यागछा उपदेश २४ अपनी निंघामें भुनिछो सघर्ष (हसाधना) हा त्याग
रने डा उपदेश २५ आत्भा जाहभन हरने से ही छोधष्ठों निष्स जना सहते
है स हेतु से आत्भहभन हा उपदेश और उस विषयमें सने द्रष्टांत
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ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર : ૧