SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 460
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (७) महालीमसेन, (दढरहे) दढरथो-(८) १८२५, (दसरहे) दशरथ:-६२२५, (सयरहे) शतरथः-मने (१०) शत२थ. (जंबूद्दीवेणं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीसमाए सत्तकुलगराहोत्था) जम्बुद्वीपे खलु द्वीपे भारतेवर्षे अस्यामवसर्पिण्यां समायां सप्तकुलकरा आसन्-मापूदी५ नमाना पापमi माता मारत मां भा या सक्सपिणीमा सात ४२॥ यया छे. (तं जहा) तद्यथा-तेभनi नाम सा प्रमाणे छ. (पढमेत्थ विमलवाहण) प्रथमोऽत्र विमल. वाहन:-(१) विमलवान, (चक्खुम) चक्षुष्मान्-(२) यक्षुष्मान, (जसमं) यशोमान्-(3) यशोमान, (चउत्थमभिचंदे) चतुर्थोऽभिचन्द्रः-(४) मलियन्द्र, (तत्तोय पसेणईए) ततश्च प्रसेनजित्-(५) प्रसेनलित, (मरुदेव) मरुदेवः(१) भरुव भने (चेवनाभीय) चैवनाभिश्च-(७) नालिराय. (एतेसिणं सत्तण्हं कुलगराणं) एतेषां खलु सप्तानां कुलकराणां-मा सात खरेनी (सत्तभारिया होत्था) सप्तभार्या आसन्-सात पत्नी ती. (तं जहा) तद्यथा-तेमनां नाम ॥ प्रभा छे–(चंदजसा) (१) यन्द्रयशा, (२) (चंदकंता) यन्न्ता , (सुरुव पडिरूव चक्खुकंता य) (3) सु३५। (४) प्रति३५ा, (५) यक्षु०४-ता, (सिरिकता શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર ૪૫૩
SR No.006414
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages514
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy