SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६८ १६ माठवें सूत्रछा अवतरा और आठवां सूत्र।। १७ वृद्धावस्थामें छोछ रक्षठ नहीं होता और माल्यावस्था भी पराधीन होने द्वाराअभय ही है-मेसा वियार पुर युवावस्था छो ही संयभपालन हा योग्य अवसर सभॐना याहिये। १८ नवभ सूचहा अवतरश और नवभ सूत्र। १८ वार्द्धध्य और रोगों से त श्रोत्राछिन्द्रियों में परिज्ञान नष्ट नहीं हुसे हैं, तभी तयारियानुष्ठानमें प्रवृत हो भना याहिये। ॥छति प्रथभोटेशः॥ ८3 s ॥ अथ द्वितीयोटेशः ॥ १ प्रथम देश उसाथ द्वितीय श ा सम्मन्धप्रतिधाहन । २ प्रथम सूत्रधा सवतरा और प्रथभ सूत्र। उ संसारडी असारता डोशननेवाला भुनि संयमविषयष्ठ सरतिछो हर र क्षाराभायमें भुत हो जाता है। ४ द्वितीय सूठा अवतरा और द्वितीय सूत्र । ५ मिनाज्ञा से अहिर्भूत साधु सुन्तिभाजी नहीं होता। ६ तृतीय सूचहा अवतराश और तृतीय सूत्र । ७ अनगार छौन उहलाते हैं। ८ यतुर्थ सूत्रधा अवतररा और यतुर्थ सूत्र। ८ विषयासन्तिवश परितक्ष होर धन छी स्पृहासे Eऽसभारम्ल रनेवाला मनुष्य का वर्शन । १० प्रश्चभ सूत्रठा अवतर और प्रश्वभ सूत्र । ११ संयभी छो Eऽ सभारम्भ नहीं इरना याहिये । देश सभाप्ति। ८० ८3 ८ 64 ॥ति द्वितीयोटेशः॥ શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૨
SR No.006402
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 02 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy