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अनु. विषय
पाना नं.
૨૨૩ ૨૨૪ ૨૨૬ ૨૨૭
૨૨૮
२३०
૨૩૧ ૨૩૨ ૨૩૨ ૨૩૪ २४० ૨૪૧
अग्निहाय सभारम्भ निवृति प्रतिज्ञा अग्नि विराधनाघोष अग्निष्ठायोपभोग अग्नि सभारम्लोष अग्नि सभारम्भ में उसने आश्रित अन्य छावों ही हिंसा उपसंहार Gदेश सभाप्ति पश्चभोद्देशठ (वनस्पति) उपभ सनगार लक्षारा वनस्पतिछाय सथितता (लक्षाशद्वार) वनस्पति प्र३पाशा (मेट) वनस्पति परिभारा वनस्पतिठायोपभईन संसार हा हेतु है ३पाहि गुरा में भूरी संसार छा छारा है ३वाहिगुराभूराघोष वनस्पतिशस्त्र सभारम्भ में तघाश्रित अनेछ
व हिंसा वनस्पतिविराधसाध्वाभास उपभोगद्वार वनस्पतिविराधनाइस २४८ भनुष्यशरीर हे साथ वनस्पति ही सथितता डी सिद्धि उपसंहार Gदेशसभाति षष्ठोद्देश (असष्ठाय) उपभ असों मे यसखायलक्षा असायप्रपा असहायपरिशाभ प्रत्येष्ठ यस छवों के सुजम अलग अलग है
૨૪૩ २४४
२४५ ૨૪૬ २४७
૨૪૯ ૨પ૧
ઉપર ઉપર ૨પ૪
૨પપ
૨પપ ૨૫૬
શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૧