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दीपिका-नियुक्ति टीका अ.७ सू.६३ दविधप्रायश्चित्तनिरूपणम्
तत्रोपकरणादि दानेन गुरोरनुकम्पामुत्पाद्याऽऽलोचने-आकम्पितं नाम दोषः, वचनेनाऽनुमायाऽऽलोचनेऽनुमानितं नामदोषः, यल्लोकैदृष्टं तस्यैवालोचने दृष्टं नामदोषः, स्थूलस्यैवाऽऽलोचने बादरं नाम दोषः, अल्पस्यैव दोषस्याऽऽलोचने सक्ष्म नामदोषः, केनचित्-पुरुषेण निजदोषे प्रकाशिते सति यादृशो दोषोऽनेन प्रकाशित स्तादृशो ममापि वर्तते इत्येवं प्रच्छन्नस्य दोषस्याऽऽलोचने छन्नं नाम___ आकम्पित, अनुमानित, दृष्ट, बादर, सूक्ष्म, छन्न, शब्दाकुल, बहुजन, अव्यक्त और तत्सेवी नामक दस दोष आलोचना के समझना चाहिए । इनका स्वरूप इस प्रकार है।
(१) गुरु को उपकरण वस्त्र आदि देकर, उनके चित्त में अपने प्रति अनुकम्पा उत्पन्न करके आलोचन करना आकम्पित नामक दोष है।
(२) वचन से अनुमान करके आलोचन करना अनुमानित दोष है।
(३) लोगों ने जिस दोष को देख लिया हो उसी की आलोचना करता दृष्ट नामक दोष है।
(४) स्थूल दोष की ही आलोचना करना बादर दोष है। (५) सूक्ष्म-छोटे से अपराध की आलोचना करना सूक्ष्म दोप है।
(६) छन्न-किसी पुरुष के द्वारा अपना दोष प्रकाशित करने पर ऐसा कहना कि-'जैसा दोष इन्हें लगा है वैसा ही मुझे भी लगा है, इस प्रकार प्रच्छन्न (गुप्त) रूप से दोष को प्रकाशित करना छन्न नामक दोष है।
पित, अनुमानित, ४८, मा४२, सूक्ष्म, छन्न, शहास, मन, અવ્યક્ત અને તત્સવી નામના દશ દોષ આલોચનાના સમજવા જોઈએ. मेमनु २१३५ प्रमाणे छ
(૧) ગુરૂને ઉપકરણ વસ્ત્ર આદિ આપીને, તેમના ચિત્તમાં પિતાની તરફ અનુકમ્પ ઉત્પન્ન કરીને, આલેચના કરવી આકમ્પિત નામક દોષ છે.
(२) वयनथी अनुमान , सायना ४२वी अनुमानित है. छे.
(૩) લકે એ જે દેષને જોઈ લીધા હેય તેની જ આલેચના કરવી દષ્ટ નામક દેષ છે.
() સ્થૂળ દેષની જ આલેચના કરવી ભાદર દેષ છે. (૫) સૂમ-નાના સરખા અપરાધની આલોચના કરવી સૂક્ષ્મ દેષ છે. | (૬) છન્ન-કોઈ પુરૂષ દ્વારા દેષ પ્રકટ કરતી વખતે આ પ્રમાણે કહેવું
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્રઃ ૨