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________________ ३९० तत्त्वार्थसूत्रे रसंघातनाम--औदारिकादिपञ्चभेदात्पञ्चबिधम्५(२७) (७)संहननं नाम--षड्विधम्, वज्रऋषभनाराचऋषभनाराच--नाराचाऽर्धनाराच--कीलिका--सेवार्तसंहननभेदात्. ।६ (३३) (८)संस्थाननामषड्विधम्-समचतुरस्र-न्यग्रोधपरिमण्डल -सादि--कुब्ज--वामन--हुण्डनामभेदात् ६(३०) (९)वर्णनाम पञ्चविधं कष्ण--नील--रक्त--पीत-- वेतभेदात्५ (४४) । (१०)गन्धनामद्विविधं सुरभि--दुरभिभेदात् २ (४६) (११)रसनामपञ्चविधं तिक्त--कटु--कषाया-ऽम्ल--मधुरभेदात् ५ (५१)। (१२) स्पर्शनामाष्टविधं गुरुलघुकर्कश-.मृदु--शीतोष्ण-रूक्ष-स्निग्धभेदात् (५९) (१२-१५) अगुरुलधूपघात-पराधातनामा प्रत्येकमेकैकविधम् । ३ (६२) । (१६) आनुपूर्वीनाम--चतुर्विधम् , नरक-तिर्यग्--मनुष्य--देवगत्यानुपूर्वीनामभेदात् ४.(६६)।)१७-१९) उछ्वासोद्योताऽऽतपनामान्यपि-एकैकविधानि । ३ (६९) (२०) विहायोगतिनाम--द्विविधम्, प्रशस्ताऽप्रशस्तविहायोगतिभेदात् २ (७१)। २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २९ शेषाणि-त्रस-स्थावर-सूक्ष्म-बादर-पर्याप्ता-ऽपर्याप्त प्रत्येकशरीर-साधारणशरीर-स्थिरासंघातनामकर्म के पाँच भेद हैं-औदारिकशरीरसंघात, वैक्रियशरीरसंघात आहारकशरीरसंघात तैजसशरीरसंघात, कार्मणशरीरसंघात ५(२७) । (७) संहनननामकर्म के छह भेद हैं-वज्रऋषमनाराचसंहनन, ऋषभनाराचसंहनन, नाराचसंहनन, अर्धनाराचसंहनन, कीलिकासंहनन, सेवार्तसंहनननामकर्म ६(३३) । (८) संस्थाननामकर्म के छह भेद हैं-समचतुरस्रसंस्थाननाम न्यग्रोधपरिमंडलसंस्थान, सादिसंस्थान, कुब्जकसंस्थान, वामनसंस्थान और हुण्डसंस्थाननामकर्म ६६(३९) । (९) वर्ण, (१०) गंध, (११) रस और (१२) स्पर्श के बीस २० भेद होते हैं-वर्ण नामकर्म के पाँच भेद हैं-काला, नीला, राता, पीला और श्वेत ५ (४४) गन्धके दो भेद-सुरभि गंध और दुरभिगन्ध २(४६) रसके पाँच भेद-तिक्त, (तीखा) कटु, (कड्डुआ) कषायला, खट्टा, और मीठा ५(५२) स्पर्शनाम के आठ भेद-गुरु, लघु, कर्कश, मृदु (कोमल), शीत, उष्ण, रूक्ष, स्निग्ध (५९) (१३) अगुरुलघु भी एक प्रकार का है ६० । (१४) उपधात और (१५) पराघात का भी एक-एक भेद है । (६२) (१६) आनुपूर्वीनामकर्म के चार भेद हैं-नरकानुपूर्वी, तिर्यगानुपूर्वी, मनुष्यानुपूर्वी, और देवानुपूर्वी ४(६६)। (१७) उच्छ्वास, (१८) उद्योत (१९) आतप नामकर्म का एक-एक भेद है । (६९) (२०) विहायोगतिनामकर्म के दो भेद हैं-प्रशस्तविहायोगति और अप्रशस्तविहायोगतिनाम (७१) । नामकर्म के बयालीस भेदों में से यहाँ २० भेदों का वर्णन हुआ ? शेष बाईस भेद ये है २१ त्रस, २२ स्थावर, २३ सूक्ष्म, २४ बादर, २५ पर्याप्त, २६ अपर्याप्त २७ साधारणशरीर, २८ प्रत्येकशरीर, २९ स्थिर, ३० अस्थिर, ३१ शुभ, ३२ अशुभ, ३३ શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર: ૧
SR No.006385
Book TitleTattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages1032
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size60 MB
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