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२६८-२७३
विषयांकः
पृष्ठाङ्कः | विषयांक:६५ गंगा नदी में सुदंष्ट्रदेवकृत भग
७८ भगवान के विहारस्थान का वर्णन २४० वान् के उपसर्ग का वर्णन २०८-२१५ | ७९ भगवान् के उपसर्गों का वर्णन २४१-२५३ TH ६६ उपकारक और अपकारक के प्रति
८० भगवान की आचारपरिपालन विधिका भगवान् के समभाव का वर्णन २१६ वर्णन
२५४-२६१ ६७ भगवान् के संगमदेवकृत उपसर्ग
८१ भगवान् के अभिग्रह का वर्णन २६२-२६७ का वर्णन
२१७-२१९ । ८२ अभिग्रह की पूर्ति के लिये फिरते हुवे ६८ भगवान् के चातुर्मास का और
भगवान के विषय में लोगों के तर्क तप का वर्णन
२२०-२२१
वितर्क का वर्णन ६९ भगवान् को संगमदेवकृत उपसर्गका
८३ अभिग्रह की पूर्ति के लिये फिरते हुवे और भगवान के चातुर्मास का वर्णन २२२-२२६
भगवान् के चन्दनबाला के समीप पहुँचने का वर्णन
२७४ ७० भगवान् के अनार्य देश में प्राप्त परी
८४ भगवान को आहार ग्रहण के लिये पह एवं उपसर्ग का वर्णन २२७-२२८
चन्दनवाला की प्रार्थना
२७५ ७१ घोर परीषह एवं उपसर्ग प्राप्त होने
भगवान को भिक्षा ग्रहण किये विना पर भी भगवान् के मन के अविकृत
ही पीछे फिरते देखकर चन्दनबाला के स्थिति का वर्णन
२२९ अश्रुपात का वर्णन
२७६ ई ७२ भगवान् की आचारविधि का वर्णन २३०
८६ धनावह शेठ के घर में पांच दिव्य । 1 ७३ भगवान् के समभाव का वर्णन २३१-२३५
प्रगट होने का वर्णन
२७७ ७४ भगवान् की आचारविधि का वर्णन २३६ ८७ चन्दनबाला के चरित्र का वर्णन २७८-२९२ ७५ भगवान के अनार्यदेश में उपस्थित
८८ अन्तिम उपसर्ग का वर्णन २९३-३०० परीषह एवं उपसर्ग का वर्णन २३७ ८९ भगवान् के विहार का वर्णन ३०१-३०३ मार ७६ भगवान् के विहारस्थानों का वर्णन २३८ ९० भगवान के दश प्रकार के महा७७ भगवान् के समभाव का वर्णन २३९
स्वमदर्शन का वर्णन
३०४-३०५
શ્રી કલ્પ સૂત્ર: ૦૨