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________________ - - ज्ञानवन्द्रिकाटीका-शानभेदाः। मूलम्-जइ पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवकंतिय-मणुस्साणं उप्पज्जइ, किं सम्मदिहि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवतिय-मणुस्साणं?, मिच्छदिहि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवतिय-मणुस्साणं?, सम्ममिच्छदिहि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउ य-कम्मभूमिय-गब्भवतिय मणुस्साणं?, गोयमा !सम्मदिष्टि-पज्जत्तगसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवतिय-मणुस्साणं उप्पज्जइ,नोमिच्छदिहि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय--कम्मभूमियगब्भवतिय-मणुस्साणं, नो सम्ममिच्छदिहि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवकंतिय-मणुस्साणं ॥ छाया–यदि पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भव्युत्क्रान्तिक-मनुघ्याणामुत्पद्यते, किं सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भव्युक्रान्तिक-मनुष्याणां ?, मिथ्यादृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्याणां ?, सम्यग्मिथ्यादृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिजगर्भव्युत्क्रान्तिक-मनुष्याणाम् ?, गौतम ! सम्यग्दृष्टि-पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्ककर्मभूमिज-गर्भव्युत्क्रान्तिक-मनुष्याणामुत्पद्यते, नो मिथ्यादृष्टिपर्याप्तक-संख्येयव युष्क-कर्मभूमिज-गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्याणाम् , नो सम्यमिथ्यादृष्टि-(मिश्रदृष्टि) -पर्याप्तक-संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भव्युत्क्रान्तिक-मनुष्याणाम्॥ मनुष्यों को ही होता है। अपर्याप्त संख्यातवर्ष की आयुवाले कर्मभूमिगर्भज मनुष्यों को नहीं । पर्याप्त नामकर्म के उदय से जिनकी छह पर्याप्तियां निष्पन्न हो चुकी हैं वे पर्याप्त मनुष्य हैं, अपर्याप्त नामकर्म के उदय से जिनकी पर्याप्तियां निष्पन्न नहीं हुई हैं वे अपर्याप्त मनुष्य हैं। જ થાય છે, અપર્યાપ્તક સંખ્યાત વર્ષનાં આયુવાળા કર્મભૂમિ ગર્ભજ મનુષ્યને નહી.” પર્યાપ્તક નામ-કર્મના ઉદયથી જેમની છ પર્યાસિયો પૂર્ણ થઈ ચૂકી છે તે પર્યાપ્તક મનુષ્યો છે અને અપર્યાપ્ત-નામકર્મના ઉદયથી જેમની પર્યાણિયો પૂર્ણ થઈ નથી તે અપર્યાપક મનુષ્યો છે. શ્રી નન્દી સૂત્ર
SR No.006373
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nandisutra
File Size49 MB
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