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________________ प्रियदर्शिनी टीका अ. ३४ स्थितिद्वारनिरूपणम् तेजोलेश्यायाः स्थितिमाहमूलम्--मुहत्तद्धं तुजन्ना, दोण्णुदेही पलियमसंखभागमभहिया। उक्कोसा होई ठिई, नायव्वा तेउलेसौए ॥ ३७॥ छाया-मुहूर्ताद्धां तु जघन्या, द्वौ उदधी पल्याऽसंख्यभागाभ्यधिकौ । ___ उत्कृष्टा भवति स्थिति, तिव्या तेजोलेश्यायाः ।। ३७ ॥ टीका-'मुहुत्तद्धं तु इत्यादि मुहूर्ताद्धां तु-अन्तर्मुहूर्तकालमेवेत्यर्थः, तेजोलेश्याया जघन्या स्थिति ज्ञातव्या भवति । पल्याऽसंख्यभागाभ्यधिको द्वौ उदधी-द्वे सागरोपमे पल्योपमासंख्येयभागाभ्यधिके, तेजोलेश्याया उत्कृष्टा स्थिति तिव्या भवति ॥ ३७॥ भवति ) अन्तर्मुहूर्त की होती है तथा (उक्कोसा ठिई-उत्कृष्टा स्थितिः) उत्कृष्टस्थिति (पलियमसंखभागमभहिया तिण्णुदही नायव्वा होईपल्योपमासंख्येयभागाभ्यधिकान् त्रीन् उदधीन ज्ञातव्या भवति) एक पल्योपमके असंख्यातवें भागसे अधिक तीन सागरोपम प्रमाण होतीहै।।३६ तेजोलेश्या की स्थिति इस प्रकार है-'मुहुत्तद्धंतु' इत्यादि। ___ अन्वयार्थ (तेजोलेसाए-तेजोलेश्यायाः) तेजोलेश्याकी (जहन्ना ठिई -जघन्यास्थितिः) जघन्यस्थिति (मुहुत्तद्वं-मुहुर्ताद्धां) एक अन्तर्मुहूर्त प्रमाणकी है तथा (उकोसा ठिई पलियमसंखभागमभहिया दोण्णुदहीउत्कृष्टा स्थितिः पल्याऽसंख्यभागाभ्यधिको द्वौ उद्धी) पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दो सागरोपम प्रमाण है ॥३७॥ भुइतनी हाय , तथा उक्कोसा ठिई-उत्कृष्टा स्थितिः उत्कृष्ट स्थिति पलियमसंखभागमब्भ हिया तिण्णुदही नायव्वा होई-पल्योपमासंख्येयभागाभ्यधिकान् त्रीन् उधीन् ज्ञातव्या भवति स पक्ष्यायमना मसभ्यातमा साथी मधि त्रय साग. રેપમ પ્રમાણ હોય છે. ૩૬ तन्नोश्यानी स्थिति मा ४२नी छे--" मुहुत्तध्धं तु" त्या ! मन्वयार्थ --तेजोलेसाए-तेजोलेश्यायाः तेने वेश्यानी जहन्ना ठिई-जघन्या स्थितिः ४३न्य स्थिति मुहुत्तद्धं-मुहूर्ताद्धां मेमन्त डूत प्रमाणुनी छे, तथा उक्कोसा ठिई पलियमसंखभागमब्भहिया दोण्णुदही-उत्कृष्टा स्थितिः पल्योपमासंख्यभागाभ्यधिको द्वौ उद्धी अष्ट स्थिति पक्ष्या५मना मसभ्यातमा मा अधि से સાગરેપમ પ્રમાણ છે. ૩૭ उत्तराध्ययन सूत्र :४
SR No.006372
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1032
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size55 MB
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