________________
उत्तराध्ययन सूत्रकी विषयानुक्रमणिका
विषय
१ मङ्गलाचरण
२ उपाद्घात
३ अध्ययनोंके नामनिर्देश
४२
४ विनयका उपदेश
५ संयोग के विषय में दृष्टान्त
६ विनीत शिष्यादिका लक्षण ७ विनयके विषयमें गुणनिधि शिष्यका दृष्टान्त ८ अविनीत शिष्यका लक्षण और उस विषय में क्षुद्रबुद्धि शिष्यका दृष्टान्त
दृष्टान्त सहीत अविनीतका लक्षण और afalta शिष्यका दृष्टान्त
१० अविनीत प्रवृत्ति में सूकरका दृष्टान्त श्वानआदि दृष्टान्तके श्रवण से विनीतशिष्यका कर्तव्य
११ विनय का फल
१२ विनय पालन करने का उपाय
१३ बालपार्श्वस्थादिकोंका संसर्गकी निंदना १४ हास्य क्रीडा की निंदा
१५ क्रोधवश होकर झुठ बोलना आदिका निषेध १६ शिष्यको प्रतिदिन गुरुके इङ्गित जाननेमें तत्पर रहना चाहिये
१७ शत्रुमर्दन राजाका दृष्टान्त
१८ मणिनाथ का दृष्टान्त
१९ अविनीत और विनीत शिष्यका आचरण
२० चंड रुद्राचार्य के शिष्यका दृष्टान्त २१ गुरु चित्तानुसारी शिष्यका दृष्टान्त
ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર ઃ ૧
पृष्ठाङ्कः
१-५
६-८
९-१०
११-१२
१३-२२
२३-२४
२५-२८
२९
३० - ३७
३८-४४
४५-५२
५५-५७
५८- ६४
६५-६६
६७
६८-७३
७४-७५
७६-७८
७९-८०
८१
८२-९०
९१-९२