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________________ आचारमणिमब्जूषा टीका, अध्ययन ८ गा. ५३-५४ १६९ भाषेत शङ्कादिदोषप्रसङ्गात्, तथा गृहिसंस्तवं गृहस्थैः सह परिचयं न कुर्यात् रागादिदोषसंभवादिति भावः । साधुभिस्तु सह संस्तर्व = परिचयं कुर्यात् ज्ञानध्यानाद्यात्मकल्याणवृद्धिसद्भावादिति भावः ॥ ५३ ॥ स्त्रीसंस्तवः किमर्थ न कर्त्तव्यः १ इत्याह- 'जहा कुक्कुड ० ' इत्याह । मूलम् -- जहा कुक्कुडपोयस्स, निच्च कुललओ भयं । एवं खु बंभयारिस्स, इत्थीविग्गहओ भेयं ॥५४॥ निदोष होनी चाहिए और धर्मकथा भी साधु को स्त्रियों के साथ एकान्त में नहीं करनी चाहिए, अन्यथा शङ्का आदि दोष उत्पन्न हो जाते हैं; साधु को गृहस्थों के साथ परिचय नहीं करना चाहिए क्योंकि, गृहस्थों के साथ परिचय करने से राग आदि दोषों का संभव है; साधु को साधुओं के साथ परिचय करना चाहिए, क्योंकि, इस से ज्ञान ध्यान रूप कल्याण की वृद्धि होती है ॥५३॥ ધ કથા પણુ સાધુએ સ્ત્રીએની સામે એકાંતમાં ન કરવી જોઇએ. નહિ તે શ ંકા આદિ દોષ ઉત્પન્ન થાય છે. સાધુએ ગૃહસ્થની સાથે પરિચય ન કરવા જાઇએ, કારણ કે ગૃહસ્થાની સાથે પરિચય કરવાથી રાગાદિ દોષાના સંભવ રહે છે. સાધુએ સાધુએની સાથે પરિચય કરવા જોઇએ, કારણ કે એથી જ્ઞાન ધ્યાનરૂપ કલ્યાણુની वृद्धि थाय छे. ( 43 ) * भगवान्ने निशीथ सूत्रमें कहा है- " जो साधु रात्रिमें अथवा विकाल वेला में स्त्रियों के मध्य रहता है, स्त्रियों में आसक्त रहता है, स्त्रियों से घिरा रहता है और अपरिमित कथा ( वार्तालाप) करता है या करने वालेकी अनुमोदना करता है वह प्रायश्चित्त का भागी होता है ।" ' अपरिमाणाए" पद से यह ध्वनित होता है कि अनिवार्य कारण उपस्थित हो जाने पर परिमित वान्तौलाप करने से प्रायश्चित्त नहीं लगता । ૧ ભગવાને નિશીથ સૂત્રમાં કહ્યું છે કે... ”જે સાધુ શત્રે અથવા વિકાળ વેળાએ સીમાની વચ્ચે રહે છે, સ્ત્રીઓથી ઘેરાયેલે રહે છે અપરિમિત કથા (વાર્તાલાપ) કરે તે, अथवा ४२नारने अनुभेोहे छे ते प्रायश्चित्तनो लागी जने छे.” अपरिमाणए पथी એમ ધ્વનિત થાય છે કે અનિવાય કારણ ઉપસ્થિત થતાં પરિમિત વાર્તાલાપ કરવાથી પ્રાયશ્ચિત્ત લાગતું નથી. શ્રી દશવૈકાલિક સૂત્રઃ ૨
SR No.006368
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages287
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size15 MB
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