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३० भगवान के उपदेशका वर्णन ३१ (३०) महामोहनीय स्थानोंका वर्णन
३०२-३२४ ३२ मोहनीय स्थानों के त्यागका उपदेश
३२५-३२९ ३३ दशवा अध्ययन प्रारंभ श्रेणिक राजाका वर्णन ३३०-३३४ ३४ राजपुरुषोंके प्रति श्रेणिक राजकी आज्ञा ३५ भगवान् के आगमनका वर्णन ३६ भगवान् के आगमनका श्रेणिक राजको निवेदन ३४२-३४६ ३७ श्रेणिक राजाका भगवान्को वन्दन करने के लिये जाना ३४७-३४८ ३८ नगर सम्मान-सिंचन धार्मिकरथ सज्जीकरणादि वर्णन ३४९-३५२ ३९ भगवानको वन्दन करनेके लिये श्रेणिक राजाका गमन ३५३-३५८ ४० भगवान्को वन्दना करनेके लिये सजित हुई चेल्लणका वर्णन
३५९-३६० ४१ भगवान् का उपदेश
३६१-३६२ ४२ निर्ग्रन्थके मनोभावका वर्णन
३६३-३६४ ४३ निर्ग्रन्थीके मनोभावका वर्णन
३६५-३६६ ४४ निर्ग्रन्थ और निग्रन्थियोके संकल्पके विषयमें भगवान का पूछना
३६७-३६८ ४५ भगवानका उपदेश और निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थियोंका वर्णन ३६९-३८५ ४६ स्त्रियों के निदानकर्मका वर्णन
३८६-३८९ ४७ निर्ग्रन्थोके स्त्रीसबन्धी निदानकर्मका वर्णन
३९०-३९६ ४८ निर्ग्रन्थियों के पुरुषसम्बन्धी निदानका वर्णन
३९७-४०५ ४९ देवभवका निदान और देवीभोगसबन्धी देवीभवनिदान का वर्णन
४०६-४२४ ५० श्रावकभवनिदानका वर्णन
४२५-४३० ५१ साधुसम्बन्धी निदानका वर्णन
४३१-४३६ ५२ निदानरहितसंयम फलका वर्णन
४३७-४४१ ५३ भगवानके उपदेशकी सफलताका वर्णन और उपसंहार ४४२-४४५ ५४ संक्षेपसे सर्वनिदानका वर्णन और ग्रन्थसमाप्ति ४४६-४४८ ५५ शास्त्रप्रशस्ति
४४९-४५१
શ્રી દશાશ્રુત સ્કન્ધ સૂત્ર