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________________ वा वणदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पन्वयदुग्गंसि वा, भोच्चा आरुभइ चउद्दसमेणं पारेइ, अभोच्चा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ, जाए जाए मोए आवियव्वे, दिया आगच्छइ आवियव्वे, राई आगच्छइ नो आवियव्वे, सपाणे मत्ते आगच्छइ नो आवियव्वे, अप्पाणे मत्ते आगच्छइ आवियव्वे, सबीए मत्ते आगच्छइ नो आवियत्वे, अबीए मत्ते आगच्छइ आवियवे, ससणिद्धे मत्ते आगच्छइ नो आवियम्वे, असणिद्धे मत्ते आगच्छइ आवियत्वे, ससरक्खे मत्ते आगच्छए नो आवियव्वे, असरक्खे मत्ते आगच्छइ आवियन्वे । जाए जाए मोए आवियवे, तंजहा-अप्पे वा बहुए वा । एवं खलु एसा खुड्डिया मोयपडिमा अहामुक्त अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं कारणं फासिया पालिया सोहिया नीरिया किट्टिया आणाए अणुपालिय। भवइ ॥४१॥ महल्लियं णं मोयपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स कप्पइ से पढमसरयकालसमयंसि वा चरमनिदाहकालसमयंसि वा बहिया ठावियव्वा, गामस्स वा जाव रायहाणीए वा वर्णसि वा वणदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पब्बयदुग्गसि वा, भोच्चा आरुभइ सोलसमेण पारेइ, अभोच्चा आरुभइ अट्ठारसमेण पारेइ, जाए जाए मोए आवियत्वे तह चेव जाव अणुपालिया भवइ ॥४२॥ ___ संखादत्तियस्स णं भिक्खुस्स पडिग्गहधारिस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविद्रस्स जावइयं केइ अंतो पडिग्गहस्स उच्चित्ता दलएज्जा तावइयाओ दत्तीओ वत्तब्वं सिया, तत्थ से केइ छब्बएण वा दूसरण वा चालएण वा अंतो पडिग्गहस्स उच्चित्ता दलएज्जा सावि णं सा एगा दत्ती वत्तव्वं सिया, तत्थ बहवे भुंजमाणा सव्वे ते सयं सयं पिंडं साहणिय अंतो पडिग्गहस्स उच्चित्ता दलएज्जा सव्वा वि णं सा एगा दत्ती वत्तव्वं सिया ॥४३॥ __ संखादत्तियस्स गं भिक्खुस्स पाणिपडिग्गहियस्स गाहाबइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविद्वस्स जावइयं केइ अंतो पाणिस्स उच्चित्ता दलएज्जा तावइयाओ दत्तीओ वत्तवं सिया, तत्थ से केइ छब्बएण वा दुसरण वा चालएण वा अंतो पाणिस्स उच्चित्ता दलएज्जा सावि णं सा एगा दत्ती वत्तव्यं सिया, तत्थ से बहवे भुंजमाणा सव्वे ते सयं सयं पिंडं साहणिय अंतो पाणिस्स उच्चित्ता दलएज्जा सन्चावि णं सा एगा दत्ती वत्तव्वं सिया ॥४४॥ 'तिविहे उवहडे पन्नत्ते, तंजहा-मुद्धोवहडे, फलिहोवहडे, संसहोवहडे ॥४५॥ तिहिवे ओग्गहिए पण्णत्ते, तं जहा-जं च ओगिण्हइ जं च साहरइ जं च आसगंसि पक्खिवइ एगे एवमासु ॥४६॥ एगे पुर्ण एवमाहंसु-दुविहे ओग्गहिए पन्नत्ते तंजहा-जं च ओगिण्हइ जंच आसगंसि पक्खिवइ ॥४७॥ ॥ ववहारे नवमो उद्देसो समतो ॥९॥
SR No.006364
Book TitleAgam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages346
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size40 MB
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