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________________ गणावच्छेयए बाहिं उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नो अइक्कमइ ॥१६॥ से गामंसि वा जाव रायहाणिसि वा एगबगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणप्पवेसाए नो कप्पइ बहूर्ण अगडसुयाणं एगयओ वत्थए, अत्थि य इत्थ ण्डं केइ आया. रपकप्पधरे नस्थि य इत्थ ण्हं केइ छेए वा परिहारे वा, नत्थि य इत्थ ण्हं केइ आयारपकप्पधरे से संतरा छेए वा परिहारे वा ॥१७॥ से गामंसि वा जाव रायहाणिसि वा अभिनिव्वगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसाए नो कप्पइ बहूणं अगडसुयाणं एगयओ वत्थए, अत्थि य इत्थ ण्हं केइ आयारपकप्पधरे, जे तइयं रयणि संवसइ, नत्थि य इत्थ केइ छेए बा परिहारे वा, नत्थि य इत्थ केइ आयारपकप्पधरे जे तइयं रयणि संवसइ सव्वेसि तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा ॥१८॥ से गामंसि वा जाव रायहाणिसि वा अभिनिव्वगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसाए नो कप्पइ बहुस्सुयस्स बब्भागमस्स भिक्खुयस्स वत्थए, किमंग पुण अप्पागमस्स अप्पसुयस्स ॥१९॥ से गामंसि वा नगरंसि वा जाव रायहाणिसि वा एगवगडाए एगदुवाराय एगनिक्खमणपवेसाए कप्पइ बहुस्सुयस्स बब्भागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए, दुही कालं भिक्खुभावं पडिजागरमाणस्स ॥२०॥ जत्थ एए बहवे इत्यीओ पुरिसा य पण्हावेंति तत्थ से समणे निग्गंथे अन्नयरंसि अचित्तंसि सोयंसि मुक्कपोग्गले णिग्यायमाणे हत्थकम्मपडिसेवणपत्ते आवज्जइ मासिय परिहारहाणं अणुग्धाइयं । २१॥ जत्थ एए बहवे इत्थीओ पुरिसा य पण्हावेंति तत्थ से समणे णिग्गंथे अन्नयरंसि अचित्तंसि सोयसि मुक्कपोग्गले णिग्यायमाणे मेहुणपडिसेवणपत्ते आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं ॥२२॥ नो कंप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा निग्गंथि अन्नगणाओ आगयं खुयायारं सबलायारं भिन्नायारं संकिलिट्ठायारचरितं तस्स हाणस्स अणालोयावेत्ता अपपडिक्कमावेत्ता अनिंदावेत्ता अगरिहावेत्ता अविउहावेत्ता अविसोहावेत्ता अकरणाए अणभुहावेत्ता अहारिहं पायच्छित्तं तवोकर्म अपडिवज्जावेत्ता उचढावेत्तए वा संभंजित्तए वा संकसिएत्त वा, तीसे इत्तरियं दिसं वा अणुदिसं वा उदिसित्तए वा धारित्तए वा॥२३॥
SR No.006364
Book TitleAgam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages346
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size40 MB
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