SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निकलकर अजमेर में आकर वकालत सन् १९३८ तक की । तत्पश्चात् मातुश्री के आग्रह से महाराणा सा० श्री भूपालसिंहजी ने हाकिम के पद पर नियुक्त किया । इसके बाद मेवाड़ राज्य में अनेक पदों पर काम किया । महाराणा स० ने इनको सेवा की सराहना में इनको और इनकी पत्नी को सोना पांव में पहनने की इज्जत बक्सी । राजस्थान बनने पर प्रतापगढ रियासत के एडमीनिस्टेस्टर बने, फिर टौंक के कलक्टर ( जिलाधीश ) बने । इसके पश्चात् डाइरेक्टर ओफ रिलीपएडीस्नल कमीश्नर रहे । अन्त में देवस्थान कमीश्नर पद से रिटायर हो गये । तब से जयपुर में रहने लगे, और वहाँ गलुंडिया भवन का आकाशवाणी के आमने सामने निर्माण करवाया, एक बगीचा माणक वाटिका नामका अजमेर रोड पर और एक बंगला गोपाल वाडी में भी बनवाया । इनके बड़े लड़के शिवसिंहजी सा० के दो पुत्र प्रताप सिंहजी सुमेरसिंहजी तथा एक पुत्रो नीताबाई हैं । श्री शिवसिंहजी की शादी अहमदनगर निवासी उत्तमचन्द्रजी रामचन्द्रजी बोगावत जो कि लोकसभा के एक सदस्य थे, उनकी सुपुत्री के साथ हुई । श्री शिवसिंहजी जयपुर में उद्योग ( इण्डस्ट्री) का कार्य कर रहे हैं, जिनकी दो शाखाएँ शिवइंजिनियरिंग और कमल इंजिनियरिंग हैं | श्री हिम्मतसिंहजी सा० के द्वितीय पुत्र कुशलसिंहजी प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट पद पर जयपुर में हैं । इनके एक ही पुत्र चेतनसिंहजी है इनकी शादी मणासा निवासी वकील सा० श्री जमुनालालजी जैन की पुत्री से हुई है। तृतीय और चतुर्थ पुत्र श्री चन्द्रसिंह और भूपाल सिंह जयपुर में फिलहाल विद्याभ्यास कर रहे हैं । श्री हिम्मतसिंहजी सा० के बड़े भ्राता रघुनाथसिंहजी के सुपुत्र श्री जगन्नाथ सिंहजी उदयपुर गोपाल भवन में रहते हैं और कृषिकार्य सुचारु रूप से चला रहे हैं - इनकी शादी उज्जैन निवासी वापूलालजी की पुत्री से हुई है । इनके तीन पुत्र और दो पुत्रियां हैं । उदय पुर का गोपालभवन बंगला हिम्मतसिंहजी सा० के पितामह के नाम से प्रसिद्ध है । श्री हिम्मतसिंहजी को पाँच बहनें थी । श्रीमती रूप कुँवर बाईजी की एक ही पुत्री श्रीमती आनन्द कुँवर बाई है, जिसकी शादी रतलाम निवासी सेठ वर्धमानजी पीतलिया से हुई । २- द्वितीय बहन श्री सज्जन बाईजी के पुत्र भूरेलालजी वया राजस्थान के मन्त्री पद पर रहे जो कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता 1 द्वितीय पुत्र श्री गणेशलालजी जिनकी धर्म में अच्छी लगन है । ३- तृतीय बहन गुलाब कुँवरजी मुनि को अङ्गीकार किया है। इनके एक पुत्र मोहनलालजी वया तथा एक पुत्री
SR No.006363
Book TitleAgam 25 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy