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एव एएणं गमेणं णावागओ जलगयस्स० ॥१८॥ णावागओ पंकगयस्स० ॥१९॥ णावागओ थलगयस्स० ॥२०॥ एवं जलगएणवि चत्तारि ॥२४॥ पंकगएणवि चत्तारि ॥२८॥ थलगएणवि चत्तारि ॥३२॥
जे भिक्खू वत्थं किणइ किणावेइ कीयमाहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेत वा साइज्जइ ॥३३॥
एवं चउद्दसमे उद्दे सए पडिग्गहे जो गमो भणिओ सो चेव इहंपि वत्थेण णेयव्यो जाव जे भिक्खू वत्थनीसाए वासावासं वसइ बसंतं वा साइज्जइ, णवरं कोरणं णत्थि ।३४-९० तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं उग्घाइयं ॥९१॥
॥ निसीहज्झयणे अट्ठारसमो उद्देसो समत्तो ॥१८॥
॥ एकोनविंशतितमोदेशकः ॥ जे भिक्खू वियर्ड किणइ किणावेइ कीयं आहटु दिज्जमाणं पढिग्गाहेइ पडिग्गाहते वा साइजह ॥१॥
जे भिक्खू वियडं पामिच्चेइ पामिच्चावेइ पामिच्चं आहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पदिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥२॥
जे भिक्खू वियर्ड परियट्टेइ परियट्टावेइ परियट्टियं आहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ।।३।।
जे भिक्खू अच्छेज्जं अणिसिंह अभिहडं आहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेतं वा साइज्जइ ॥४॥
जे भिक्खू गिलाणस्स अट्ठाए परं तिण्हं वियडदत्तीणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहंत वा साइज्जइ ॥५॥
जे भिक्खू वियर्ड गहाय गामाणुगाणं दूइज्जइ दुइज्जतं वा साइज्जइ ॥६॥
जे भिक्खू वियडं गालेइ गालावेइ गालियं आहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेत वा साइज्जइ ॥७॥
जे भिक्खू चउहि संझाहिं सज्झायं करेइ करेंतं वा साइज्जइ । तं जहा-पुचाए संझाए, पच्छिमाए संझाए, अवरण्हे, अद्धरत्ते ॥८॥
શ્રી નિશીથ સૂત્ર