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________________ ४९ सुयाणि वा कणगताणि वा कणगखचियाणि वा कणगबिचित्ताणि वा आभरणविचित्ताणि वा करेइ करेंत वा साइज्जइ ॥ १२ ॥ एवम् - धरेइ० ||१३|| परिभुंजइ ॥ १४ ॥ । इति कौतूहलप्रतिज्ञाकरणम् । जे निग्थे णिग्गंथस्स पाए अण्णउत्थिएण वा गारत्थि एण वा आमज्जावेज्ज वा मज्जा वेज्ज वा आमज्जावेंत वा पमज्जावेंत वा साइज्जइ ||१५|| एवं तइयउद्देसगमो भाणियन्वो जाव जे निम्गंथे निम्गंथस्स गामाणुगामं दूइज्ज - माणस्स अण्णउत्थिष्ण वा गारत्थिष्ण वा सीसदुवारियं कारावेइ कारावेंतं वा साइज्जइ ॥ १६-७० ॥ एवं जे निग्गंथे निग्गंथीए० ॥७१-१२६ ॥ एवं जा निग्गंथी निग्गंथस्स० ॥१२७ - १८२ ॥ एवं जा निग्गंथी निग्गंथीए० ॥ १८३ - २३८ || जे णिग्गंथे णिग्गंथस्स सरिसगस्स अंते ओवासे संते ओवासं न देइ न देंतं वा साइज्जइ ॥ २३९ ॥ जाणिग्गंथी णिग्गंथीए सरिसियाए अंते ओवासे संते ओवासं न देइ न देतं वा साइज्जइ ॥ २४०॥ जे भिक्खू मालोहडं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दिज्जमाणं पडिग्गाहे पडिग्गार्हतं वा साइज्जइ ॥ २४९ ॥ जे भिक्खू कोट्टाउत्तं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा उक्कुज्जिय णिक्कुज्जिय दिज्जमाणं पडिग्गा हेइ पडिग्गार्हतं वा साइज्ज || २४२ || जे भिक्खू मट्टिओलित्तं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा उभिदिय निभिदिय दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गार्हतं वा साइज्जइ ॥ २४३॥ जे भिक्खू असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पुढवीपइट्ठियं पडिग्गाहेई डिग्गा वा साइज्जइ ॥ २४४ ॥ एवं आउपइट्ठियं ० ॥ २४५ ॥ उपइडियं० ॥ २४६ ॥ वणफइकायपइडियं० ॥२४७॥ जे भिक्खू अच्चुसिणं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा मुहेण वा सुप्पेण वा विणणेण वा तालियंटेण वा पत्तेण वा पत्तभंगेण वा साहाए वा साहाभंगेण वा पेहुणेण वा पेहुणहत्थेण वा वेलेण वा चेलकण्णेण वा हत्थेण वा फुमिता वीरत्ता आहट् दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गार्हतं वा साइज्जइ ॥ २४८ ॥ ७ શ્રી નિશીથ સૂત્ર
SR No.006362
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages550
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nishith
File Size28 MB
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