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________________ ४६ जे भिक्खू वसुराइयं अवसुराइयं वयइ वयंतं वा साइज्जइ ॥११॥ जे भिक्खू अवसुराइयं वसुराइयं वयइ वयं वा साइज्जइ ॥१२॥ जे भिक्खू वसुराइयगणाओ अवसुराइयगण संकमइ संकमंतं वा साइज्जइ ॥१३॥ व्युद्ग्रहव्युत्क्रान्तप्रकरणम् । जे भिक्खू बुग्गहवुक्कंताणं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देइ देंतं वा साइज्जइ ॥१४॥ जे भिक्खू वुग्गहवुक्कंताणं अप्तणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥१५॥ जे भिक्खू बुग्गहवुक्कंताणं वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपुंछणगं वा देइ देंतं वा साइज्जइ ॥१६॥ जे भिक्खू वुग्गहवुकताणं वत्थं वा पडिग्महं वा कंबलं वा पायपुंछणगं वा पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥१७॥ जे भिक्खू बुग्गहवुक्कंताणं वसहिं देइ देंतं वा साइज्जइ ॥१८॥ जे भिक्खू बुग्गहवुक्कंताणं वसहिं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥१९॥ जे भिक्खू बुग्गहचुकंताणं वसहिं अणुप्पविसइ अणुप्पविसंतं वा साइज्जइ ॥२०॥ जे भिक्खू बुग्गहवुक्कंताणं सज्झायं देइ देंतं वा सइज्जइ ॥२१॥ जे भिक्खू बुग्गहवुक्कंताणं सज्झायं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥२२॥ । इति व्युद्ग्रहव्युत्क्रान्तप्रकरणम् ।। जे भिक्खू विहं अणेगाहगमणिज्जं संति लाढे विहाराए संथरमाणेसु जणवएसु विहारवडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेतं वा साइज्जइ ॥२३॥ जे भिक्खू विरुवरूवाई दस्सुयाययणाई अणारियाइं मिलक्खुइं पच्चंतियाई संति लाढे विहाराए संथरमाणेसु जणवएसु विहारवडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेतं वा सााइज्जइ ॥२४॥ । जुगुप्सितकुलप्रकरणम् । जे भिक्खू दुगुंछियकुलेसु असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥२५॥ जे भिक्खू दुगुंछियकुलेसु वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपुंछणगं वा पडिगाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥२६॥ શ્રી નિશીથ સૂત્ર
SR No.006362
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages550
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nishith
File Size28 MB
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