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॥चतुर्थीदेशकः॥ जे भिक्खू रायं अत्तीकरेइ अत्तीकरेंतं वा साइज्जइ ॥१॥ जे भिक्खू रायं अच्चीकरेइ अच्चीकरेंतं वा साइज्जइ ॥२॥ जे भिक्खू रायं अच्छीकरेइ अच्छीकरेंतं वा साइज्जइ ॥३॥ जे भिक्खू रायं अत्थीकरेइ अत्थीकरेंतं वा साइज्जइ ॥४॥ जे भिक्खु कसिणाओ ओसहीओ आहारेइ आहारतं वा साइज्जइ ।।२१॥ जे भिक्खू आयरियउवज्झाएहिं अदत्तं आहारेइ आहारतं वा साइज्जइ । २२॥
जे भिक्खू आयरियउवज्झाएहिं अविदिण्णं विगई आहारेइ आहारतं वा साइज्जइ ॥२३॥
जे भिक्खू ठवणकुलाई अजाणिय, अपुच्छिय, अगवेसिय पुवामेव पिंडवायपडियाए अणुप्पविसइ अणुप्पविसंतं वा साइज्जइ ॥२४॥
जे भिक्खू णिग्गंथीणं उवस्सयंसि अविहीए अणुप्पविसइ अणुप्पविसंतं वा साइज्जइ ॥२५॥
जे भिक्खू णिग्गंथीणं आगमणपहंसि दंडगं वा लठियं वा रयहरणं वा मुहपत्तियं वा अण्णयरं चा उवगरणजायं ठवेइ ठवेंतं वा साइज्जइ ॥२६॥
जे भिक्खू णवाई अणुप्पण्णाई अहिगरणाई उप्पाएइ उप्पाएंतं वा साइज्जइ॥
जे भिक्खू पोराणाई अहिगरणाई खामिय-विओसमियाई पुणो उदीरेइ उदीरेंतं वा साइज्जइ ॥२८॥
जे मिक्खू मुहं विप्फालिय विष्फालिय हसइ हसंतं वा साइज्जइ ॥२९॥ जे भिक्खू पासत्थस्स संघाडयं देइ देंतं वा साइज्जइ ॥३०॥
जे भिक्खू पासत्थस्स संघाडयं पडिच्छइ पडिच्छतं वा साइज्जइ ॥३१॥ एवं-'ओसत्तस्स संघाडयं देइ० पडिच्छइ० ॥३२-३३॥
कुसीलस्स संघाडयं देइ० पडिच्छइ० ॥३४-३५॥ णितियस्स संघाडयं देइ० पडिच्छइ० ॥३६-३७॥ संसत्तस्स संघाडयं देइ० पडिच्छइ० ॥३८-३९॥
जे भिक्खू उदउल्लेण हत्थेण वा मत्तेण वा दब्बीए वा भायणेण वा असणं वा ४ पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥४०॥
શ્રી નિશીથ સૂત્ર