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________________ जे भिक्खू अप्पणो दंते आघंसेज्ज वा पघंसेज्ज वा आघसंत वा पसंत वा साइज्जइ ॥५०॥ जे भिक्खु अप्पणो दंते सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोवेज्ज वा, उच्छोलेंतं वा पधोवतं वा साइज्जइ ॥५१॥ जे भिक्खू अप्पणो दंते फुमेज वा रएज्ज वा फुमेत रएतं वा साइज्जइ ॥५२॥ जे भिक्खू अप्पणो ओहे आमज्जेज वा पमज्जेज वा आमजतं वा पमज्जंतं वा साइज्जइ ॥५३॥ एवं ओढे पायगमओ भाणियन्त्रो जाव फुमेज वा रएज्ज वा, फुमैतं वा रएत वा साइज्जइ ॥५४-५८॥ जे भिक्खू अप्पणो दीहाइं उत्तरोट्ठरोमाई कप्पेज्ज वा संठवेज्ज या, कप्त वा संठवेंतं वा साइज्जइ ॥५९॥ एवं दीहाई अच्छिपत्ताइं० ॥६०॥ जे भिक्खू अप्पणो अच्छीणि आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा आमज्जंत वा पमज्जतं वा साइज्जइ ॥६१॥ एबमच्छिसु पायगमओ भाणियचो, जाव फुमेज्ज वा रएज्ज वा फुतं वा रएतं वा साइज्जइ ॥६६॥ जे भिक्खू अप्पणो दीहाई भमुहरोमाई कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा कप्पेंतं चा संठवेत वा साइज्जइ ॥६७।। जे भिक्खू अप्पणो दीहाई पासरोमाई कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ॥६८॥ जे भिक्खू अप्पणो अच्छिमलं वा कण्णमलं वा दंतमलं वा णहमलं वा णीहरेज्ज वा विसोहेज्ज वा, गोहरेंतं वा विसोहेंतं वा साइज्जइ ॥६९॥ जे भिक्खू अप्पणो कायाओ सेयं वा जल्लं वा पंकं वा मलं वा णीहरेज्ज वा विसोहेज्ज वा नीहरतं वा विसोहेंतं वा साइज्जइ ॥७॥ जे भिक्खू गामाणुगामं दुइज्जमाणे अप्पणो सीसवारियं करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥७१॥ जे भिक्खू सणकप्पासाओ वा उण्णकप्पासाओ वा बौडकप्पासाओ वा अमिल. कप्पासाओ वा वसीकरणसुत्ताई करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥७२॥ શ્રી નિશીથ સૂત્ર
SR No.006362
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages550
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nishith
File Size28 MB
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