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भिक्खू मणं भोयणजायं पडिग्गाहेत्ता बहुपरियावन्नं सिया अदूरे तत्थ साहम्मिया संभोइया समणुन्ना अपारिहारिया संता परिवसति ते अणापुच्छिय अणिमंतिय परिgas परिद्ववें तं वा साइज्जइ || ४५ ||
जे भिक्खू सागारियपिंड गिन्हइ, गिण्हतं वा साइज्जइ ||४६ || जे भिक्खू सागारियपिंडं भुजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥४७॥
जे भिक्खू सागारियकुलं अजाणिय अपुच्छिय अगवेसिय पुव्वामेव पिंडवायपडिare gaes अणुपविसंतं वा साइज्जइ ॥४८॥
जे भिक्खू सागारियणीसाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा वा ओभासि ओभासिय जायइ जायंतं वा साइज्जइ ॥ ४९ ॥
जे क्खूि उउबद्धियं सेज्जासंथारंगं परं पज्जोवसणाओ उवाइणावेइ उवाइणातं वा साइज्जइ ॥ ५०॥
जे भिक्खू वासावासिय सेज्जासंथास्यं परं दसरायकप्पाओ उवाइणावेइ उवाइणातं वा साइज्जइ ॥ ५१ ॥
जे भिक्खू उउबद्धियं वा वासावासियं वा सेज्जासंथारंग उव्वरिसिज्जमाणं पेहाए न ओसारेइ न ओसारेंतं वा साइज्जइ ॥५२॥
जे भिक्खू पाडिहारियं
सेज्जासंथारगं दोच्चंपि
णीतं वा साइज्जइ ॥ ५३ ॥
जे भिक्खू सागारियसंतियं सेज्जासंथारंगं दोच्चंपि
अणणुण्णवेत्ता बाहिं जीणेइ
णणुण्णवेत्ता बाहिं णीणेइ
जीर्णे वा साइज्जइ ॥ सू० ५४ ॥
जे भिक्खू पाडिहारियं सागारियसंतियं वा सेज्जासंथारगं दोच्चपि अणणुण्णवेत्ता बाहिं णीणे णीतं वा साइज्जइ ॥ ५५ ॥
जे भिक्खू पाडिहारियं सेज्जासंथारयं आदाए अपडिहद्दु संपव्यय संपन्नयंत वा साइज्जइ ॥ ५६॥
जे भिक्खू सागारियसंतियं सेज्जासंथारयं आयाए अविगरण कटु अणपिणित्ता संपव्वय संपव्वतं वा साइज्जइ ॥५७॥
जे भिक्खू पाडिहारियं वा सागारियसंतियं वा सेज्जासंथारगं विष्पण न गवेसइ न गवेसंतं वा साइज्जइ ॥ ५८ ॥
जे भिक्खू इत्तरियंपि उवहिं ण पर्डिलेहर ण पडिलेहंतं वा साइज्जइ ॥ ५९ ॥ तं सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहारट्टाणं उग्घाइयं ॥ ६० ॥
॥ निसी हज्जपणे बीओ उद्देसो समत्तो ॥ २ ॥
શ્રી નિશીથ સૂત્ર