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जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे जम्बूद्वीपस्य तेजसः परिणामेऽङ्गी क्रियमाणे कादाचित्कत्वं प्रसज्येत, एवं वायोरतिचलत्वेन जम्बूद्वीपस्य वायुपरिणामत्वेऽङ्गी क्रियमाणे एतस्यापि चलत्वापत्तिरिति तयोः स्वत एव सन्देहाविषयत्वेन प्रश्नसूत्रे उपन्यासः कृत इति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'पुढवीपरिणामें वि' पृथिवीपरिणामोऽपि, अयं जम्बूद्वीपः पर्वतादिमत्वात् पृथिव्याः परिणामरूपोऽपि भवति, तथा 'आउपरिणामे वि' अप्परिणामोऽपि अयं जम्बूद्वीपो नदीहूदादिमत्वात् जलपरिणामरूपोपि स्वीक्रियते 'जीवपरिणामे वि' जीवपरिणामोऽपि, अयं जम्बूद्वीपो मुखवनादिषु वनस्पत्यादिमत्त्वात् जीवपरिणामोऽपि भवति, यद्यपि आहेतसिद्धान्ते पृथिव्यपूकायपरिणामत्वग्रहणेनैव जीवपरिणामत्वं सिद्धम, तथापि लोके पृथिवी. जलयो जीवत्वस्याव्यवहारात् जीवपरिणामत्वस्य पृथग्ग्रहणं कृतम्, वनस्पत्यादीनां जीवत्वएकान्तसुषमादि काल में तैजस के अनुत्पन्न होने से तथा एकान्त दुष्षमादि में उससे विनश्वरशीलता होने से उसमें कदाचित्कता का प्रसङ्ग प्राप्त होगा, इसी तरह वायु का परिणाम जम्बूद्वीप को मानने पर इसमें चलनत्वधर्म का प्रसा प्राप्त होगा अतः इन दोनों के जम्बूद्वीप में परिणाम होने के सन्देह की स्वतः अबिषयता होने के कारण यहां प्रश्न सूत्र में इनका उपन्यास नहीं किया गया है। _अब गौतमस्वामी ने जो इस प्रकार के ये प्रश्न किये हैं उनके उत्तर में प्रभु उनसे कहते हैं-'गोयमा ! पुढवी परिणामे वि, आउपरिणामे वि, जीवपरिणाम वि' हे गौतम ! यह जंबूद्वीप पर्वतादि कों से युक्त होने के कारण पृथिवी का परिणामरूप भी है तथा-नदी, हूद आदि वाला होने के कारण जल का परिणामरूप भी है' जीव परिणामे वि' एवं मुखवनादिकों में वनस्पति आदि वाला होने से वह जम्बूदीप जीव परिणामरूप भी है। यद्यपि जैनसिद्धान्त में पृथिवी अकाय के परिणामत्व के ग्रहण से ही जीव परिणामता जम्बुद्वीप में सिद्ध हो जाती है फिर भी लोक में पृथिवी एवं जल में जीवत्व का व्यवहार नहीं होता है इस તે એકાન્ત સુષમાદિકાળમાં તૈજસના અનુત્પન હોવાથી તથા એકાન્ત દુષમાદિમાં તેમાં વિનશ્વરશીલતા હોવાથી તેમાં કદાચિત્કતાને પ્રસંગ પ્રાપ્ત થશે આજ પ્રમાણે વાયુનું પરિણામ જમ્બુદ્વીપને માનવાથી તેમાં ચલનત્વધર્મને પ્રસંગ પ્રાપ્ત થશે આથી આ બંનેના જમ્બુદ્વીપમાં પરિણામ હવાના સદેહની સ્વતઃ અવિષયતા હોવાના કારણે અહીં પ્રશનસૂત્રમાં તેમને ઉપન્યાસ કરવામાં આવ્યું નથી, હવે ગૌતમસ્વામીએ જે પ્રકારના આ प्रभो स्थित ४ा छ तेन। उत्तरमा प्रभु तेनन -'गोयमा! पुढवीपरिणामे वि आउपरिणामे वि, जीवपरिणामे वि' गौतम ! म पूदी५ ५ ताथा युद्धत पाना કારણે પૃથ્વિના પરિણામરૂપ પણ છે તથા–નદી, સરોવર આદિવાળો હોવાથી પાણીના परिणाम३५ ५४ छ. 'जीवपरिणामें वि' अने भुमनाम वनस्पति माहवाणा હોવાથી તે જમ્બુદ્વીપ જીવપરિણામરૂપ પણ છે. જોકે જૈન સિદ્ધાંતમાં પૃવિ, અપકાયના પરિણામ-વના રહણથી જ જીવપરિણામતા જમ્બુદ્વીપમાં સાબિત થઈ જાય છે તેમ છતાં
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર