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प्रकाशिका टीका-सप्तमवक्षस्कारः सू० २९ चन्द्रसूर्याणां विमानवाहकदेवसंख्यानि० ४९३ मण्डिता-आभरणादिना सुशोभिता कटिर्येषां ते तथा तेषाम्, 'तवणिज्जखुगणं' तपनीय खुराणाम्, सुवर्णसदृशखुराणाम्, 'तवणिज्जजीहाणं' तपनीयजिह्वानाम्, 'तवणिज्जतालुयाणं' तपनीयतालुकानाम्-सुवर्ण सदृशतालुकानाम्, 'सवणिज्जजोत्तगसुयोजियाणं' तप. नीय योत्रकसुयोजितानाम्, 'कामगमाणं' कामगमानां तत्र-कामः-स्वेच्छा तेन गमो. गमनं येषां तादृशानाम्, “पीइगमाणं' प्रीतिगमानाम्, तत्र प्रीति श्चित्तस्योल्लासो विद्यते इत्यर्थः 'मणोगमाणं' मनोगमानाम्, 'मणोरमाणं' मनोरमाणाम् 'अमियगईणं' अमितगतीनाम् 'अमियबलवीरियपुरिसक्कारपरकमाणं' अमित बलवीर्य पुरुषकारपराक्रमाणाम्, 'महयाहयहेसियकिलकिलाइयरवेणं' महताहयहेषितकिलकिलायितरवेण-शब्देन, तत्रमहता-बहुव्यापिना हयहेषितरूपो यः किलकिलायितरवः-सानन्दशब्दस्तेन 'मणोहरेणं' भाग और भी अनेक प्रकार के आभरणों से सुसज्जित हो रहा है 'तवणिजखुराणं' इनके खुर सुवर्ण के जैसे है, 'तवणिज्ज जीहाणं' जिह्वा भी इनकी सुवर्ण के जैसी है, 'तवणिज्जतालुयाणं' तालु भी इनका तपनीय सुवर्ण के ही जैसा है 'तवणिज्ज जोत्तगसुयोजियाणं' तपनीय सुवर्ण के तारों से गुंथे हुए जेबरा से ये सब सुनियोजित हैं 'कामगमाणं' इच्छानुसार ये सब गमन करते हैं, 'पीइगमाणं' चित्त के उल्लास के अनुरूप ही इनकी चाल है, 'मणोगमाणं' मन की गति जैसी इनकी गति है, 'मणोरमाणं' मन को रुचें ऐसे ये बडे सुहावने हैं, 'अमियगईणं' इनकी गति अपार है 'अमियबलवीरिय पुरिसकारपरकमाणं' अपरं पार ही इनका बल, वीर्य और पुरुषकार पराक्रम है, 'महया हयहे. सिय किलकिलाइयरवेणं' ये सब के सब हय (घोडा) रूपधारी देव गण बहत दर २ तक व्याप्त होने वाले ऐसे अपने हिनहिनाट के शब्द से जो कि आनन्दयुक्त है 'मणोहरेणं' चित्त में आल्हाद का उत्पादक है 'अंबरं दिसाओ य पुरेता अम्बरतल एवं दिशाओं को वाचालित करते हैं और 'सोभयंता' उन्हें 'तवणिज्जखुराणं' मेमनी भरी सोना २वी छ, 'तवणिज्जजीहाणं' म ५५५ मेमनी सुप २वी छ, 'तवणिज्जतालुयाणं' त ५५ भनु तपास सुवर्ण यु यमबु छ, 'तवणिज्जजोत्तगसुयोजियाणं' तो सुना यभार ताराथी यस राशनी साथ से मां सुनियोजित छ. 'कामगमाणं' ४२छानुसार त्या मां गमन रे छे. 'पीइगमाणं (यत्तन GAIसने अनु३५ ० भनी यास छ, 'मणोगमाणं' भन्ने गमे सेवा तया घर सोडामा छ. 'अमियगईणं' ५५२ पा२ मेमनी गति छ. 'अमिय बलवीरिय पुरिसकारपरकमाणं' अ५२ पा२ सयु मेमनु मणवी मने ५३१४२ ५। छ, 'महया हयहेसियकिलकिलाइयरवेणं' मा म य () ३५धारी देवाण घरे દૂર-દૂર પર્યંત વ્યાસ થનારા એવા પિતાના હણહણાટના શબ્દથી કે જે આનંદદાયક છે, 'मणोहरेणं' वित्तमा REET SOMना२ छ. 'अंबरं दिसाओ य पुरेता' अमरतने भने शियाने पायलित रे छे भने 'सोभयंता' भने सुशालित रे छ. मान
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર