________________
२७४
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे संवच्छरस्स कइ पव्वा पन्नत्ता' प्रथमस्य खलु भदन्त ! चन्द्रसंवत्सरस्य कति पर्वाणि प्रज्ञप्तानि, हे भदन्त ! प्रथमस्य युगादौ प्रवृत्तस्य चन्द्रसंवत्सरस्य कति-कियत्संख्यकानि पर्वाणि पक्षरूपाणि प्रज्ञप्तानि-कथितानीति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'चोवीसं पव्वा पन्नता' चतुर्विंशतिः पर्वाणि प्रज्ञतानि, तत्र चतुर्विंशति चतुर्विशतिसंख्यकानि पर्वरूपाणि प्रज्ञप्तानि-कथितानि, प्रतिमासं पक्षद्वयसंभवेन द्वादशमासात्मके वर्षे चतुर्विशति पर्वसंभवादित। 'बिईयस्स णं भंते ! चंदसंवच्छरस्स कइपव्या पन्नता' द्वितीयस्य खलु भदन्त ! चन्द्रसंवत्सरस्य कति पर्वाणि-कियत्संख्यकानि पर्वाणि पक्ष रूपाणि प्रज्ञप्तानि-कथितानीति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'चउव्वीसं पवा पन्नता' चतुर्शितिः पर्वाणि प्रज्ञप्तानि-कथितानि प्रतिमासं पर्वद्वयसंभवेन द्वादशमासात्मके वर्षे चतुर्विंशति पर्वाणां संभवादिति एवं पुच्छा तईयरस' एवं पृच्छा तृती. यस्याभिवद्धितनामकसंवत्सरस्य, हे भदन्त ! तृतीयस्याभिवतिनामकसंवत्सरस्य खलु कति पाणि प्रज्ञप्तानीति पृच्छया संगृह्य ते प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' गौतमस्वामी प्रभु से 'पढमस्स णं भंते ! चंदसंवच्छरस्स कइपच्या पन्नता' इस सूत्रद्वारा पूछते हैं हे भदन्त ! प्रथम चन्द्रसंवत्सर के कितने पर्व-पक्ष होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! चोव्वीसं पब्वा पन्नता' हे गौतम ! प्रथम चन्द्र संवत्सर में चौवीस पक्ष होते हैं। क्योंकि हर एक मासमें दो पक्ष होते है और वषे १२ मासका होना है अतः १ वर्ष मे २४ पर्व होते हैं यह कथन सध जाता है ___'विईयस्स णं भंते ! चंदसंबच्छरस्सकइ पच्चा पनत्ता' हे भदन्त ! द्वितीय चन्द्र संवत्सर के कितने पक्ष होते हैं ? इसके उतर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! चउच्चीसं पच्चा पन्नत्ता' हे गौतम ! द्वितीय चन्द्र संवत्सर के २४ पक्ष होते हैं। 'एवं पुच्छा तईयस्स' इसी तरह की पृच्छा जो अभिवद्धित नामका तृतीय संवत्सर है उसके सम्बन्ध में गौतमस्वामीने की है-तथाच हे भदन्त जो तृतीय अभिवति नामका संवत्स है उसके कितने पक्ष होते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु चंदसंवच्छरस्स कइ पव्वा पन्नता' मा सूत्र 3 पूछे छ- महत! प्रथम यन्द्रसपासना Bा ५-५३। डाय छ ? सेना याममा प्रभु ४३ छ-'गोयमा ! चोवीसं पव्वा पन्नता' હે ગૌતમ ! પ્રયમ ચદ્રસંવત્સરમાં ૨૪ પક્ષે હોય છે. કેમકે દરેક માસમાં બે પક્ષે હોય છે અને એક વર્ષમાં ૧૨ માસ હોય છે. એથી ૧ વર્ષમાં ૨૪ પર્વો હોય છે. આ કથન સિદ્ધ થઈ જાય છે.
'बिईयस्स णं भंते ! चंदसंवच्छरस्स कइ पव्वा पन्नत्ता' मत ! द्वितीय सत्स. २ना टापा डाय छ ! सेना वासभा प्रभु छ-'गोयमा ! चउन्वीसं पव्वा पन्नत्ता'
गौतम 'द्वितीय यद्रसवत्सरना २४ ५ डाय छे. 'एवं पुच्छा तईरस' मा तनी પૃચ્છા–જે અભિવૃદ્ધિત નામક તૃતીય સંવત્સર છે, તેના સંબંધમાં ગૌતમસ્વામીએ પ્રભુશ્રીને કરી છે, તથા ચ હે ભદંત ! જે તૃતીય અભિવતિ નામક સંવત્સર છે, તેના કેટલા પક્ષે
જદીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા