________________
२३८
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे मन्दरस्य पर्वतस्य पूर्वस्यां दिवसो यावत् रात्रि भाति, यदा खलु भान्त ! जम्बूद्वीपे द्वीपे दक्षि गाढ़ें उत्कर्पतोऽष्टादशमुहूर्तों दिवसो भवति तदा खलु उत्तरार्द्धऽपि उत्कृर्षतोऽष्टादश मुहूत्तौ दिवसो भाति, यदा खलु उतरार्दै उत्कृष्टतोऽष्टादशमुहतों दिवसो भवति तदा खलु जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पूर्वस्यां पश्चिमायां जघन्या द्वादशमुहूर्ता रात्रिभवति ? हंत गौतम ! यदा खलु भदन्त ! जम्बूद्रोपे द्वीपे यावद् द्वादशमुहूर्ता रानि भवति । यदा खलु भदन्त ! द्वीप में स्थित मन्दर पर्वतकी उत्तर और दक्षिण दिशा में रात्रि होती है 'जयाण जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमेगं दिवसे जाव राई भवई' यही बात इस सूत्रपाठ द्वारा प्रभु की ओर से उत्तर रूप मे प्रकट की गई है । 'जयाणं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दाहिणद्ध उक्कोसए अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे भवइ, तयाणं उत्तरद्धे वि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवई' हे भदन्त ! जब जम्बूद्वीप नामके द्वीप में दक्षिण दिग्भाग में उत्कृष्ट रूप से मुहूर्त का दिन होता है तब उत्तरार्ध में भी उत्कृष्ट रूप १८ मुहूर्त का दिवस होता है और 'जघाणं उत्तरद्धे उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ, तयाणं जंबुद्दोवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्त पुरथिम. पच्चत्थिमेणं जहणिया दुवाल समुहुत्ता राई भवई' जब उत्तरार्द्ध में उत्कृष्ट दिवस १८ मुहूर्तका होता है तब क्या जम्बूद्री नामके द्वीप है मन्दरपर्वत का पूर्व पश्चिम दिशा में जघन्य १२ मुहूर्त की रात्रि होती है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं'हंता गोयमा' हां गौता ! ऐसा ही होता है-जब मेरु की दक्षिण दिशा में अठारह मुहूर्त का दिवस होता है तब उसकी उत्तर दिशा में भी १८ मुहूर्त का दिवस होता है और जब मेरु की उत्तर दिशा में १८ मुहूर्त का दिवस होता है तब इस जम्बूद्वीप नामके द्वीपमें मन्दर पर्वत के पूर्व भागमें और पश्चिम भाग में जघन्य लोप छ. 'जयाण जंबुद्दीवे दी। मंदरम्स पयस्त पुरथिमेणं दिवसे जाव राई भवई' मे। पात मा सूर 43 प्रभुमे ५४८ ४२री छे. 'जयागं भंते ! जंबुदोवे दीवे दाहिणद्धे उक्कोसए अट्रारस मुहुत्ते दिवसे भवइ, तयाणं उत्तरद्धे वि उक्कोसए अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे भवई' 8 ભદંત! આ જંબૂઢીપ નામક દ્વીપમાં દક્ષિણ દિગ્બાગમાં ઉત્કૃષ્ટ રૂપથી ૧૮ મુહૂર્તને દિવસ હોય છે ત્યારે ઉત્તરાદ્ધમાં પણ ઉત્કૃષ્ટ રૂપથી ૧૮ મુહૂર્તને દિવસ હોય છે અને 'जयाणं उत्तरद्धे उनकोसए अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे भवइ, तयाणं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपच्चत्थिमेणं जहणिया दुवालपमुहुत्ता राई भवई' या उत्तराभाट દિવસ ૧૮ મુહૂર્તને થાય છે ત્યારે શું જંબૂદ્વીપ નામક દ્વીપમાં મંદર પર્વતની પૂર્વपश्चिमहिशाम ४५५ १२ मुतनी निहाय ? सन। उत्तरमा प्रभु के-'हंता गोयमा !' , गौतम! माम1 थाय छे. न्यारे भेनी क्षिशिम १८ मुतना દિવસ હોઇ છે ત્યારે તેની ઉત્તર દિશામાં પણ ૧૮ મુહૂર્તને દિવસ હોય છે. અને ત્યારે મેરુની ઉત્તરદિશામાં ૧૮ મુહૂર્તને દિવસ હોય છે ત્યારે આ જંબુદ્વીપ નામક
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર