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________________ २३ २८९-३०० ३००-३०९ ३०९-३४० ३४०-३४७ ३४७-३७८ ३७८-३८८ ३८८-३९८ ३९८-४०० ४०१-४०४ ४०४-४११ उत्तर कुरु नामादि का निरूपण हरिस्सह कूट का निरूपण विभाग के क्रमसे कच्छादिविजय का निरूपण चित्रकूट वक्षस्कार का निरूपण दूसरा सुकच्छविजय का निरूपण दूसरा विदेह विभाग का निरूपण सौमनस गजदन्त पर्वत का निरूपण चित्रविचित्रादिकूटों का निरूपण कूटशाल्मलीपीठ का निरूपण चौथा विद्युत्प्रभ नामके वक्षस्कार का निरूपण महाविदेह वर्ष के दक्षिण पश्चिम में तीसरे विभाग के अन्तर्वति विजयादि का निरूपण मेरुपर्वत का वर्णन नन्दनवन का वर्णन सौमनसवन का वर्णन पण्डकवन का वर्णन पण्डवन में स्थित अभिषेक शिलाका वर्णन मन्दरपर्वत के कांड (विभाग) संख्या का कथन समय प्रसिद्ध मंदरपर्व के सोलह नामका कथन नीलवन्नाम के वर्षधर पर्वत का निरूपण रम्यक नामके वर्ष-क्षेत्र का निरूपण पांचवां वक्षस्कार जिनजन्माभिषेक का वर्णन ऊर्ध्वलोक निवासिनी मह तरिका दिशाकुमारीका अवसर प्राप्त कर्तव्य का निरूपण ४१३-४२३ ४२३-४५० ४५०-४६६ ४६६-४७० ४७१-४९३ ४७१-४९३ ४९३-४९९ ४९९-५०६ ५०७-५१७ ५१७-५४२ ४२ ५४२-५६८ ५६८-५७९ જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા
SR No.006355
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages806
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size51 MB
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