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________________ प्रकाशिका टीका तृ० ३ वक्षस्कारः सू० २८ राज्योपार्जनानन्तरीयभरत कार्यवर्णनम् ८७७ जाव सत्यवाभिईओ पुरओ अहाणुपुच्चीए संपट्टिआ' तदन्तरं च खलु बहवो राजानो माण्डलिका ईश्वरा:-युवराजाः तलवराः नगररक्षका यावत्सार्थवाहप्रभृतयः पुरतः यथानुपूर्व्या संप्रस्थिताः अत्र यावत्पदाक्ष माडम्बिक कोटुम्बिक मन्त्रि महामन्त्रि गणक दौवारिक अमात्य चेटपीठमईकनगरनिगम श्रेष्ठि सेनापति सार्थवाहाः इति ग्राह्यम् । तत्र माsम्बिकाः मडंबो ग्रामविषेशः यस्य ग्रामस्य चतुर्दिक्षु सार्द्ध तृतीय, कोशद्वयपर्यन्ताग्रामान्तरं न भवति सः तस्याधिपतिः तद्बहुवचने-मड बाधिपतयः, कौटुम्बिका:परिवारस्थायिनो माता पिता भ्रातृभगिन्यादयः, मन्त्रिणः, , सचिवा अमात्याः, महामन्त्रि ण: - सर्वोच्चामात्याः प्रधानमन्त्रिणः, गणका : - ज्योतिषिकाः, दौवारिका: - द्वारपा लकाः, अमात्या - राज्याधिष्ठायकाः, चेटाः दासा वा, पीठमर्दा: - आस्थाने आसन्नासन्नसेवकाः समवयस्या इत्यर्थः, नगरम् प्रसिद्धम्, निगमाः कारणिका वणिजो समूह चली ( तयणंतरं चणं बहवे राईसर तलवर जाव सत्थवाहप्पभिइओ पुरओ अहाणुपुव्वाए संपट्टिया) इस जनसमूह के बाद अनेक राजा मांडलिकजन, ईश्वर युवराज, तलबर नगर रक्षक यावत् सार्थवाह आदिजन चले यहाँ यावत्पद में माडम्बिक, कोटुम्बिक मन्त्री महामन्त्री गणक ज्योतिषी' दौवारिक, अमात्य चेट पोठमई अंगरक्षक नगरनिगम के श्रेष्टिजन, सेनापति " इन सबका ग्रहण हुआ है। जिस ग्राम के आस पास ढाई कोश तक दूसरा ग्राम नहीं होता है उसका नाम मडंब है इस मडंब ग्राम रूप विशेष का जो अधिपति होता है वह माडम्बिक कहा गया हैं कुटुम्बिजन - माता पिता आदि को टुम्कि कहे गये हैं, मंत्री महामंत्री प्रधान ये भिन्न २ पद के अनुसार होते हैं गणक नाम ज्योतिर्विद का हैं जिसे भाषा में ज्योतिषी कहा गया है द्वारपाल का नाम दौवारिक है राज्य के अधिष्ठापक होते हैं उन्हें अमात्य कहा जाता है दासी दास आदि चेट कहलाते है पोठमर्द अङ्गरक्षक को कहते है जिसे अंग्रेजी में बोडीगार्ड कहा गया है अथवा जो समानवय के होते हैं वे भी पीठमर्द कहे जाते हैं । यासी ( तयणंतर च णं बहवे राइसरतलवर जाव सत्थवाहपभिइओ पुरओ अहाणुपुथ्वी संपट्टिया) से जनसमूह पछी अने राम-मांडसिन, ईश्वरयुवरान तलवर, નગર રક્ષક યાવત્ સા વાહ વગેરે લેાકેા ચાલ્યા. અહીં યાવત્ પદથી મા બિક કૌટુંબિક, भन्त्रीयो, महामन्त्रोथे। गए। ज्योतिषीय होवारि अमात्या थेटो-पीडम, अंगરક્ષકા, નગરનિગમના શ્રેષ્ટિજના, સેનાપતિએ એ સવ નુ ગ્રહણ થયું છે. જે ગ્રામની આસપાસ અઢી ગાઉ સુધી અન્ય ગ્રામ હાય નહિ તેનુ નામ મડ ંખ છે, એ મખ વિશેષ ને ने अधिपति होय छे. ते भाङमि हेवाय छे. छोटु भिजन, माता-पिता वगेरे ने छोटु - ખિકા કહેવામાં આવ્યા છે. મત્રી, મહામંત્રી પ્રધાન એ એ ભિન્ન પદ, મજણ હોય છે, ગણક નામ જ્યેાતિવિંદનું છે, જેને હિન્દી ભાષામાં જાતિષી કહેવામાં આવે છે. દ્વારપાળ નું નામ દૌવારિક છે. રાજ્યના જે અધિષ્ઠાપક હોય છે તેને અમાત્ય કહેવામાં આવે છે. દાસી-દાસ વગેરેને ચેટ કહેવામાં આવે છે, પીમ અંગરક્ષક ને કહે છે. જેને અંગ્રેજીભાષામાં મેડીગાડ કહેવામાં આવે છે. અથવા જેઓ સમાનવયના હોય છે. તેનેપીઠમદ જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર -
SR No.006354
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages992
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size62 MB
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