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________________ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे' द्रव्याणि यानि ग्रथितपुष्पाणि एताणि हस्ते गतानि प्राप्तानि यस्य स तथा (मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ) मज्जनगृहात्प्रतिनिष्क्रामति (पडिणिक्ख मित्ता) प्रतिनिष्क्रम्य ( जेणेव आउहघरसाला जेणेव चक्करयणे तेणामेव पहारेत्थ गमणाए ) यत्रैव आयुधगृहशाला यत्रैव च चक्ररत्नं तत्रैव प्रधारितवान गमनाय - गन्तुं कामः प्रावर्तत इत्यर्थः ।। स्रु० ३ ॥ ५४८ अथ भरतगमनानन्तरं यथा तदनुचराश्चक्रुस्तथाऽऽह 'तए णं" इत्यादि । मूलम् - तए णं तस्स भरहस्स रण्णो बहवे ईसरपभिइओ अप्पेगइया पउमहत्थगया अप्पेगइया उप्पलहत्थगया जाव अप्पेगइया सय सहस्तपत्त हत्थगया भरहं रायाणं पिट्ठओ २ अणुगच्छति । तए णं तस्स भरहरूस रण्णो बहूइओ - 'खुज्जा चिलाइवा मणिवडभीओ बब्बरी बउसियाओ । जोणिय पल्हवियाओ इसिणिय थारुकिणियाओ ||१|| लासिय लउसिय दमिली सिंहलितह आखी पुलिंदीय । पक्कणि बहली मुरंडी सबरीओ पारसी ओय || २ || अप्पेगइया वंदण कलस हत्थगयाओ चंगेरी पुष्प पडलहत्थगयाओ भिंगार आदंसथालपातिसुपरट्टगवायकरग करंडपुष्पचंगेरी मल्लवण्ण चुण्ण गंधहत्थगयाओ वत्थ आभरण लोमहत्थय चंगेरीपुप्फ पडलहत्थगयाओ जाव लोमहत्थगयाओ अप्पेगइयाओ सीहासणहत्थगयाओ छत्त चामरहत्थगयाओ तिल्लस मुग्गयहत्थगयाओतेल्ले को समुग्गे पतेचाए अंतगरमेला य । हरियाले हिंगुलए मणो सिला सासव समुग्गे ॥ १ ॥ अप्पेगइयाओ तालियंटहत्थगयाओ अप्पेगहयाओ ध्रुवकडच्छुय हत्थगयाओ भरहं रायाणं पिट्ठओर अणुगच्छति तए णं से भरहे राया सव्विड्डीए सव्वबलेण सव्वसमुदएणं सव्वायरेणं सव्वविभूसाए सव्व - -- ग्रथित पुष्प ये सब सुगन्धित सामग्री थी ( पडिनिक्खमित्त ) मज्जनगृह से निकलकर वे ( जेणेव आउहवरसाला) जहां उनको अ युधयशाला थी ( जेणेव चक्करयणे ) और उसमें भ जहां पर चक्ररन था (तेण मेव पहारेत्थ गमणाए ) उसी ओर वे चलने लगे । ३ । (प डणिक्ख मत्ता) मनूनगृहमांथा नजाने ते (जेणेव आउहघरसाला) नयां तेमनी आयुधश जा हती, (जेणेव चक्करयणे) अने तेमां पशु क्या यारत्न इतु (तेजामेव पहारेत्य गमणार) ते तर तेथे यादवा साग्या ॥ 3 ॥ જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર
SR No.006354
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages992
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size62 MB
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