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सूर्यज्ञप्तिप्रकाशिका टीका सू० ८२ चतुर्दश'प्राभृतम् अन्धकारपक्षे-कृष्णपक्षे किल बहु-प्रभूतः अन्धकारः आख्यातः-कृष्णपक्षे अन्धकारबाहुल्यं भवतीति स्व शिष्येभ्यः उपदिशेत् । पुनः प्रश्नयति गौतमः-'ता कहं ते अंधगारपक्खे अंधगारे बहू आहिएत्ति वएजा' तावत् कथं ते अन्धकारपक्षे अन्धकारो बहु राख्यात इति वदेत् ।। तावदिति पूर्ववत् कथं-केन नियमेन ते-त्वया भगवन् अन्धकारपक्षे अन्धकारबाहुल्यं आख्यातमिति कथय । ततो भगवानाह-'ता दोसिणा पक्खातो अंधगारे बहू आहिएत्ति वएज्जा' तावत् ज्योत्स्नापक्षतः अन्धकारपक्षे अन्धकारो बहु राख्यात इति वदेत् ।।तावदिति प्राग्वत् ज्योत्स्नापक्षतः-शुक्लपक्षापेक्षया अन्धकारपक्षे-कृष्णपक्षे अन्धकारो बहु-निबिडः-अधिका-सघन:-प्रभूतो भवतीत्याख्यातः-प्रतिपादित इति ज्ञायताम् । पुन: गौतमः प्रश्नयति-ता कहं ते दोसिणापक्खातो अंधगारपक्खे अंधगारे बहू आहिएत्ति वएज्जा ?,' तावत् कथं ते ज्योत्स्नापक्षतः अन्धकारपक्षे अन्धकारो बहु राख्यता इति वदेत् ।। ज्योत्स्नापक्षापेक्षया अन्धकारपक्षे अन्धकारबाहुल्यं भवतीत्यत्र को हेतुरितिकारणं कथय भगवन्निति । ततो भगवानाह-'ता दोसिणापक्खातो गं अंधगारपक्खं अयमाणे चंदे चत्तारिअंधगारे आहिएत्ति वएज्जा) कृष्णपक्ष में अधिक अंधकार होता है ऐसा स्वशिष्यों को कहें। श्री गौतमस्वामी फिर से प्रश्न करते हैं (ता कहं ते अंधगारपक्खे अंधगारे बहू आहिएत्ति वएज्जा) कौन से नियम के आधार से हे भगवन् अपने कृष्णपक्ष में अन्धकार की अधिकता कही है ? सो कहिये । श्री गौतमस्वामी के इस प्रश्न के उत्तर में श्री भगवान कहते हैं-(ता दोसिणा पक्खातो अंधगारे बहू आहिएत्ति वएज्जा) शुक्लपक्ष की अपेक्षा से कृष्णपक्ष में अधिक अंधकार गाढ होता है ऐसा प्रतिपादित किया है। श्री गौतमस्वामी फिर से प्रश्न करते हैं-(ता कहं ते दोसिणा पक्खातो अंधगारपवखे अंधगारे बहू आहिएत्ति वएज्जा) शुक्लपक्ष की अपेक्षा से कृष्णपक्ष में अन्धकार का अधिकपना किस प्रकार से होता है ? इस में कौन सा कारण है ? सो हे भगवन आप कहिये । इस प्रकार श्री गौतमस्वामी के प्रश्न को सुनकर उत्तर में श्री भगवान् कहते हैं-(ता दोसिणा पक्खातो गं अंधगारपक्ख अयमाणे चंदे अ५२ हाय छे. तम स्वशिष्याने यु. श्रीगौतमस्वामी शथी प्रश्न पूछे छ-(ता कह ते अंधगारपक्खे अंधगारे बहू आहिएत्ति वएज्जा) या नियमना आधारथी सगवन् माघे કૃષ્ણપક્ષમાં અંધકારનું અધિકપણું કહેલ છે? તે કહે શ્રીગૌતમસ્વામીના આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં श्रीभगवान् ४ छ.-(ता दोसिणा पक्खातो अंधगारपक्खे अंधगारे बहू आहिएत्ति वएज्जा) શુકલપક્ષની અપેક્ષાએ કૃષ્ણપક્ષમાં વધારે પડતે અંધકાર હોય છે. તેમ પ્રતિપાદિત કરેલ छ. श्रीगोतमस्वामी शिथी प्रश्न पूछे छे. (ता कहं ते दोसिणा पक्खात्तो अंधगारपक्खे अंधगारे बहू आहिएत्ति वएज्जा) शु४६५क्षना ४२i g५क्षमा मा२नु मदिरा કેવી રીતે થાય છે? તેમ થવામાં શું કારણ છે? તે હે ભગવન આપ કહો આ પ્રમાણે
શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર: 2