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________________ सर्यज्ञप्तिप्रकाशिका टीका सू० ८१ द्वादशप्राभृतम् ७०९ णाभिमुखगमनस्वरूपं सर्वाभ्यन्तरान्मण्डलाद बहिनिष्क्रमणरूपं गमनं चान्द्रायणं चन्द्रचारं समाप्तं भवति ॥-अथ नाक्षत्रं प्रश्नासूत्रमन्तर रूपं प्रतिपादयति-'ता णक्खत्ते मासे णो चंदे मासे, चंदे मासे णो णक्खत्ते मासे' तावत् नाक्षत्रो मासो न चान्द्रो मासः, चन्द्रो मासो न नक्षत्रो मासः ।।-तावदिति पूर्ववत् यद्येवं द्वितीयमप्ययनं एतावत्प्रमाणं तर्हि नाक्षत्रो मासो न चान्द्रो मासो भवति, नापि च चान्द्रो मासो नाक्षत्रो मासो भवति, किन्तु चान्द्र मासान्नाक्षत्रो मासोऽधिको भवति तर्हि द्वयोः कालसाम्यं कथं सम्भवेदिति जिज्ञासानिवृत्यर्थ प्रश्नसूत्रमाह-'ता णक्खत्ताए मासाए चंदेणं किमधियं चरइ ?' तावत् नाक्षत्रान्मासात् चन्द्रेण मासेन किमधिकं चरति ? ॥-तावत् तत्र समयभेदस्थले नाक्षत्रान्मासात् चन्द्रः चान्द्रेण मासेन किमधिकं-कियत्प्रमाणमधिकं चारं चरतीति गौतमस्य प्रश्नस्ततो भगवानाह-'ता दो अद्धमंडलाई चरइ अट्ठय सत्तिद्विभागाइं अद्धमंडलस्स सत्तद्विभागं च एकतीसहा छेत्ता अट्ठारसभागाई' तावत् द्वे अर्द्धमण्ड ले चरति अष्टौ च सप्तषष्टिभागान् अर्द्धमण्डलस्य सप्तपष्टिभागं च एक रूप सर्वाभ्यंतर मंडल से बाहर निष्कमणरूप चांद्रायन यानि चंद्र चार समाप्त होता है। ___ अब नाक्षत्र संबंधी प्रश्न सूत्र अंतररूप प्रतिपादित करते हैं-(ता णक्खत्ते मासे णो चंदे मासे चंदे मासे णो णक्खत्ते मासे) यही दूसरा अयन भी इतना प्रमाण वाला है तो नाक्षत्रमास चांद्रमास नहीं होता है। तथा चांद्रमास नाक्षत्रमास नहीं होता है। परंतु चांद्रमास से नाक्षत्रमास अधिक होता है, तो दोनों के काल की समानता किस प्रकार होती है ? इस प्रकार की जिज्ञासा के शमनार्थ श्री गौतमस्वामी प्रश्न करते हैं-(ता णक्खत्साए मासाए चंदेणं किमधियं चरइ) समय भेद स्थल में नाक्षत्रमास से चंद्र चांद्रमास में कितना प्रमाण अधिक गमन करता है ? इस प्रकार श्री गौतमस्वामी के प्रश्न को सुनकर श्री भगवान् कहते हैं-(ता दो अद्धमंडलाई चरइ अट्ट य सत्तट्टिभागाइं अद्धमंडलस्स सत्तट्ठिभागं च एकतीसहा छेत्ता अट्ठारस भागाई) अधिक प्रमाण कहता हूंબહાર નીકળવારૂપ ચંદ્રાયન એટલેકે ચંદ્ર ચાર સમાપ્ત થાય છે. वे नाक्षत्र समाधी प्रश्न सूत्र मत२३५ प्रतिपाहित ४२ छ-(ता णक्खत्ते मासे जो चंदेमासे, चंदे मासे णो णक्खत्ते मासे) ने भी अयन ५७] मादा प्रभानु छे. तो નાક્ષત્રમાસ હેતા નથી. પરંતુ ચાંદ્રમાસથી નાક્ષત્રમાસ વધારે હોય છે. તે બન્નેના કાળનું સરખાપણુ કેવી રીતે થાય છે? આ પ્રમાણેની જીજ્ઞાસાના સમાધાન માટે શ્રી गौतमत्वामी प्रश्न पूछे छे.-(ता णक्खत्ताए मासाए चंदेणं किमधियं चरइ) समय लेहस्यम નાક્ષત્રમાસથી ચંદ્ર, ચાંદ્રમાસથી કેટલા પ્રમાણ વધારે ગમન કરે છે? આ પ્રમાણે શ્રી गौतमस्वामीना प्रश्नने सांमजीने श्रीभगवान् ४३ छ-(ता दो अद्धमंडलाई चरइ अट्ट य सत्तद्विभागाई अद्धमंडलस्स सत्तविभागं च एकतीसहा छेत्ता अट्ठारस भागाई) पधारे શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર: 2
SR No.006352
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1982
Total Pages1111
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size77 MB
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