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________________ १०८९ सूर्यप्तिप्रकाशिका टीका २० १०८ विंशतितमप्राभृतम् प्रकाश बिम्ब प्रज्ञप्त किये हैं-उनके नाम फ्रम से इस प्रकार हैं-अङ्गारक, (१) विकालक (२) लोहित्यक (३) शनैश्चर (४) आधुनिक (५) प्राधुणिक (६) कण (७) कणक (८) कण्ह कणक (९) कणवितानक (१०) कणसंतानक (११) सोम (१२) सहित (१३) आश्वासन (१४) कायोपग (१५) कटक (१६) अजकरक (१७) दुन्दुभक (१८) शंख (१९) शंख नाम (२०) शंख वर्णाभ (२१) कंस (२२) कंसनाभ (२३) कंस वर्णाभ (२४) नील (२५) नीलावभास (२६) रूपी (२७) रूप्पभास (२८) भस्म (२९) भस्मराशि (३०) तिल (३१) तिल पुष्प वणेक (३२) दक (३३) दक वर्ण (३४) काय (३५) वन्ध्य (३६) इन्द्राग्नि (३७) धूमकेतु (३८) हरि (३९) पिंगल (४०) बुध (४१) शुक्र (४२) बृहस्पति (४३) राह (४४) अगस्ति (४५) माणवक (४६) काम स्पर्श (४७) धुर (४८) प्रमुख (४९) विकट (५०) विसन्धि कल्प (५१) प्रकल्प (५२) जटाल (५३) अरुण (५४) अग्नि (५५) काल (५६) महाकाल (५७) स्वस्तिक (५८) सौवस्तिक (५९) वर्द्धमानक (६०) प्रलम्ब (६१) नित्यालोक (६२) नित्यद्योत (६३) स्वयं प्रभ (६४) अवभास (६५) श्रेयस्कर (६६) क्षेमंकर (६७) आभंकर (६८) प्रभंकर (६९) अरजा (७०) विरजा (७१) अशोक (७२) वीतशोक (७३) विवर्त (७४) विवस्त्र (७५) विशाल (७६) शाल (७७) सुव्रत (७८) अनिवृत्ति (७९) एक जटी (८०) द्विजटी (८१) कट (८२) कटिक (८३) राज (८४) अर्गल ગ્રહ, ગમનશીલ તેજસ્વી પદાર્થ એટલે કે પ્રકાશબિંબ પ્રજ્ઞપ્ત કરેલ છે. તેના નામે यथाम २॥ प्रमाणे छे. म॥२४ (१) विस (२) सत्य (3) शनैश्व२ (४) माधुनि (५) प्राधुनि (6) ४ (७) ४९१४१५ (८) ४११४४ (८) ४ावतान(१०) शुस तान (११) सोम (१२) सहित (१३) यासन (१४) १५ (१५) ४५°४ (१६) २०४४२४ (१७) दुम (१८) (१८) रामनाम (२०) रामपाल (२१) से (२२) सनास (२३) सवाल (२४) नीस (२५) नासावभास (२६) ३५ (२७) ३यमास (२८) भस्म (२८) भरभराशि (३०) तिe (31) तिस पुष्पqY (३२) ४४ (33) ४४१ (३४) ४व्य (34) qध्य (38) न्द्र न (३७) धूमोतु (३८) २ (३८) nिa (४०) सुध (४१) शु (४२) गृहपति (४३) २।४ (४४) मास्ति (४५) भा१४ (४६) ४४२५२ (४७) ५२ (४८) प्रभुम (४८) वि४८ (५०) विसन्धि४८५ (५१) ५४८५ (५२) ४८स. (43) २५३२ (५४) मन (५५) se (५९) भा (५७) स्वस्ति (५८) सौवस्ति (५८) १ भान (१०) प्रसन्म (११) नित्यास (१२) नित्यद्योत (63) स्वयम (१४) AQमास (६५) श्रेय२४२ (66) मार (१७) मा ४२ (१८) प्रम ४२ (६८) २१२०१ (७०) (१२० (७१) म।।४ (७२) वात (७३) विवत (७४) विवर (७५) विशाल (७६) शास (७७) सुवृत (७८) मनिपात (७८) मे४४22 (८०) laral (८१) ४८ (८२) ४ि (८3) २०१४ (८४) Pule (८५) શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર: ૨
SR No.006352
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1982
Total Pages1111
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size77 MB
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