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________________ सूर्यज्ञप्तिप्रकाशिका टीका सू० ३१ नवमं प्राभृतम् एतादृशी च छाया दिवसस्य किं गते-कतमे आगे व्यतीते शेषे वा भवतीति कथय भगवन्निति गौतमस्य प्रश्नं श्रुत्वा भगवानाह-'ता एगुणवीससयमागगए वा सेसे वा' तावद एकोनविंशशतभागगते वा शेषे वा ॥-तावदिति प्राग्वत एकोनविंशशतभागे-दिवसस्य एकोनविंशशतभागे गते वा शेषे वा अर्द्धन पष्टिपौरुपिच्छाया भवतीति ।। पुनःप्रश्नयति-ता अऊणसट्ठि पोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?' तावद उनषष्टि पौरुषी खल छाया दिवसस्य किं गते वा शेषे वा ?'-तावदिति पूर्ववत् ऊनषष्टि पौरुषी छाया-एकोनषष्टिपुरुषप्रमाणा छाया-सर्वस्यापि प्रकाश्यवस्तुनः स्वस्मादेकोनषष्टिगुणा छाया दिवसस्य किं गते-कियद भांगान्तरे शेषे वा भवतीति शिष्यः पृच्छति, भगवानाह-'ता बावीससहस्सभागे गए वा से से वा' तावत् द्वाविंशति सहस्रमागे गते वा शेषे वा ।।-दिवसस्य द्वाविंशतिसहस्रभागात्मके काले एकोनषष्टिपुरुषप्रमाणा छाया भवतीति गुरुरुत्तरयति । पुनः पृच्छति-'ता सातिरेग अऊणसद्विपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा?' तावत् सातिरेकोनषष्टिपौरषी खलु छाया रहने पर होता है सो कहिये ? इस प्रकार श्रीगौतमस्वामी के प्रश्नको सुनकर उत्तर में भगवान् श्री कहते हैं-(ता एगूणवीससयभागगए वा सेसे वा) दिवस का एकसो उन्नीसवां भाग जाने पर या शेष रहने पर अर्ध उनसठियाभाग पौरुषी छाया होती है । फिरसे श्रीगौतमस्वामी प्रश्न करते हैं-(ता अऊणसहिपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा) ? उनसठ पुरुष प्रमाण वाली छाया माने सभी प्रकाश्य वस्तुकी अपने से उन पठ प्रमाणवाली छाया दिवस का कितना भागान्तर जाने पर अथवा शेष रहने पर होती है ? इस प्रश्न के उत्तर में भगवान कहते हैं-(ता बावीससहस्सभागे गए वा सेसे वा) दिवसका बाईस हजारवां भाग जाने पर अथवा शेष रहने पर उनसठ पुरुष प्रमाण की छाया होती है। फिरसे प्रश्न करते हैं-(ता सातिरेग अऊणसहि पोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गएवा सेसे वा) सातिरेक माने कुछ अधिक તે કહો આ પ્રમાણે શ્રીગૌતમસ્વામીના પ્રશ્નને સાંભળીને તેના ઉત્તરનાં પ્રભુશ્રી કહે છે(ता एगूणवीससयभागगए वा सेसे वा) विसनो ४से मागणीसभा मा लय त्यारे અથવા બાકી રહે ત્યારે અર્ધ ઓગણસાઠ ભાગની પૌરૂષી છાયા હોય છે. ફરીથી શ્રીગૌતમस्वामी प्रश्न ४२ छे-(ता अऊणसट्ठिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा) माग સાઠ પુરૂષ પ્રમાણ વાળી છાયા એટલે કે બધી પ્રકાશ્ય વસ્તુની પિતાનાથી ઓગણસાઠ પ્રમાણ વાળી છાયા દિવસને કેટલે ભાગ જાય ત્યારે અથવા શેષ ત્યારે થાય છે ? આ प्रश्न उत्तरमा मापान ४ छ-(ता बावीससहस्सभागे गए वा सेसे वा) हिक्सन। બાવીસ હજાર ભાગ વીતે ત્યારે અથવા શેષ રહે ત્યારે ઓગણસાઠ પુરૂષ પ્રમાણની छाया थाय छे. श्रीगोतमस्वामी शथी प्रश्न ४२ छ-(ता सातिरेग अऊणसद्रि पोरिसी णं શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર : ૧
SR No.006351
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1981
Total Pages1076
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size74 MB
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