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________________ ६२८ 27 अनुपल्योपमसहस्रमेव सूर्यः अनुपल्योपमशतसहस्रमेव सूर्यः,, अनुसागरोपममेव सूर्यः अनुसागरोपमशतमेव सूर्यः अनुसागरोपमसहस्रमेव सूर्यः अनुसागरोपमशतसहस्रमेव सूर्य:,, अनुत्सर्पिण्येवसर्पिण्येव सूर्यः 25 "" 55 इति पूर्वोक्त पञ्चविंशति प्रतिवादिनां मते छायानिर्वर्तनकालः वयं पुनरेवं वदामः... सदृश एव इति ॥ 93 77 99 શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર : ૧ 97 " 39 "" सम्प्रति तद्विषयं स्वमतमाह - 'वयं पुण एवं वयामो-ता सूरियस्स णं उच्चत्तं च लेस्सं च पडुच्च छउदेसे उच्चत्तं च छायं च पटुच्च लेमुद्देसे लेस्सं च छायं च पडुच्च उच्चत्तोदेसे' वय (१९) प्रति हजार पल्योपम में सूर्य (२०) प्रति एक लाख पल्योपम में सूर्य (२१) प्रति सागरोपम में सूर्य (२२) प्रति सो सागरोपम में सूर्य (२३) प्रति हजार सागरोपम में सूर्य (२४) प्रति एक लाख सागरोपम में सूर्य (२५) प्रति उत्सर्पिणी अवसर्पिणी में सूर्य 55 59 इस प्रकार पचीस प्रतिवादियों के मत से छाया का निवर्तन काल कहा है । अब भगवान् इस विषय में अपना मत प्रदर्शित करते हुवे कहते हैं - (वयं पुण एवं वयामो-ता सूरियस्स णं उच्चत्तं च लेस्सं च पडुच्च छउद्देसे उच्चत्तं च छायं च पडच्च लेस्सुद्देसे लेस्सं च छायं च पडुच्च उच्चन्तोद्दे से ) केवल ज्ञान " "" 29 "" 95 33 " "J 55 55 " 19 (१८) प्रति हुन्नर योभ सूर्य(२०) प्रति मे साथ पयोभां सूर्य(२१) प्रति सागरोपमभां सूर्य(२२) प्रति सेो साग रोपभभां सूर्य(२३) प्रति हुन्नर साग रोपभभां सूर्य(२४) प्रति से साथ सागरोयभमां सूर्य-,, (२५) प्रति उत्सर्पिली अवसर्पि शुभां सूर्य-,, 22 19 આ પ્રમાણે પચ્ચીસ પ્રતિવાદિયાના મતથી છાયાના નિવનકાળ કહેલ છે, હવે अगवान् मा विषयमा पोताना मतने प्रगट उरतां हे छे, (वयं पुण एवं वचामो-ता सूरियरसणं उच्चत्तं च लेस्सं च पडुच्च छउद्देसे उच्चत्तं च छायं च पडुच्च लेस्सुदेसे लेस्सं च 99 "" (१९) (२०) (२१) (२२) (२३) (२४) (२५) 39 "" 77 255 सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र "" 3539 95
SR No.006351
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1981
Total Pages1076
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size74 MB
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