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________________ सूर्यज्ञप्तिप्रकाशिका टीका सू० २५ चतुर्थं प्राभृतम् प्रमाणा रात्रि भवतीति सर्वाभ्यन्तरमण्डलस्य परिस्थितिमभिधाय सम्प्रति सर्वबाह्यमण्डलस्य स्थिति कथयति-'ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं किं संठिया तावक्खेत्तसंठिई आहिता त्ति वएज्जा' तावद् यदा खलु सूर्यः सर्वबाह्यं मण्डलमुपसंक्रम्य चारं चरति, तदा खलु किं संस्थिता तापक्षेत्रसंस्थितिः आख्यातेति वदेत् ॥-तावदिति प्राग्वत्, यदा यस्मिन् समये खलु-इति निश्चितं सूर्यः सर्वबाह्य मण्डलमुपसंक्रम्य-सर्ववाद्यं मण्डलमादाय चारं चरति-तन्मण्डले भ्रमति, तदा खल किं-कियत्प्रमाणा-किं स्वरूपा तापक्षेत्रसंस्थितिः-प्रकाशक्षेत्रस्य परिस्थिति राख्याता इति भगवान् वदेव-कृपया कथय भगवन्निति गौतमस्य प्रश्नं श्रुत्वा भगवानाह-'ता उद्धीमुहकलंबुआ पुप्फसंठिई तावक्खेत्तसंठिई आहिताति वएज्जा' तावदूर्ध्वमुखकलम्बुका पुष्पसंस्थिता तापमाने अठारहमुहूर्तप्रमाण का दिवस होता है तथा जघन्या बारह मुहूर्त प्रमाण की रात्री होती है। इस प्रकार सर्वाभ्यन्तर मंडल कि परिस्थिति को कहकर के अब सर्वपाह्यमंडल की स्थिति को कहते हैं-(ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उपसंकमित्ता चारं चरइ तयाणं किं संठिया तावक्खेत्त संठिई आहिताति वएज्जा) जब सूर्य सर्वबाह्य मंडल में उपसंक्रमण कर के गति करता है तब सूर्य का तापक्षेत्र का संस्थान किस प्रकार की संस्थितिबाला कहा है ? सो कहिये । अर्थात् गौतमस्वामी प्रभुश्री को प्रश्न करते हैं कि हे भगवन् जिस समय सूर्य सर्ववाद्यमंडल में उपसंक्रमण करके माने सर्ववाह्य मंडल को प्राप्त कर के गति करता है अर्थात् उस मंडल में भ्रमण करता है तब तापक्षेत्रसंस्थिति का क्या प्रमाण होता है ? माने प्रकाशक्षेत्रसंस्थिति का कितना प्रमाणवाला होता है ? सो कृपा कर के कहें इस प्रकार के प्रश्न को सुनकर इसका उत्तर देते हुवे भगवान् कहते हैं-(ता उद्धीमुहकलंबुआपुप्फसंठिई आहिताति वएजा) ऊर्ध्वमुख कलंचुकापुष्प के संस्थान जैसा तापक्षेत्र બાર મુહૂર્ત પ્રમાણુવાળી રાત્રી હોય છે. આ પ્રમાણે સભ્યન્તરમંડળની પરિધિને કહીને डवे सााम जनी स्थितिनु ४थन ४२ छ.-(ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उव संकमित्ता चारं चरइ तया णं कि संठिया तावस्खेत्तसंठिई आहिताति वएज्जा) न्यारे सूर्य સર્વબાહ્યમંડળમાં ઉપસિંક્રમણ કરીને ગતિ કરે છે. ત્યારે સૂર્યના તાપક્ષેત્રનું સંસ્થાન કેવા પ્રકારની સંસ્થિતિવાળું કહેલ છે? તે આપ કહે. અર્થાત્ શ્રી ગૌતમસ્વામી પ્રભુશ્રીને પ્રશ્ન પૂછે છે કે-હે ભગવાન ! જે સમયે સૂર્ય સર્વબાહ્યમંડળમાં ઉપસંક્રમણ કરીને એટલે કે સર્વબાહ્યમંડળને પ્રાપ્ત કરીને ગતિ કરે છે? એટલે કે એ મંડળમાં ભ્રમણ કરે છે, ત્યારે તાપક્ષેત્રની સંસ્થિતિનું કેટલું પ્રમાણ હોય છે? તે આપ કૃપા કરીને કહો આ प्रभाणेना प्रश्न सामगीन मानो उत्त२ पतi मावान् ४३ छ । -(ता उद्धीमुहकलंबुआ पुष्कसंठिई आहिताति वएज्जा) 4 भुम मुआयना सथान पनी स्थिति શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર: ૧
SR No.006351
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1981
Total Pages1076
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size74 MB
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