________________
प्रमेयबोधिनी टीका पद २२ सू. ४ कर्मबन्धहेतुक्रियाविशेषनिरूपणम्
४१ । स्तथा एष द्वितीयो णितव्यो यावद् वैमानिक इति, जीवाःखलु भदन्त ! जीवात् कतिक्रियाः। गौतम! स्यातू त्रिक्रिया अपि स्यात् चतुष्क्रिया अपि, स्यात् पंचक्रिया अपि,स्यात् अक्रिया अपि, जीवाः खलु भदन्त नैरयिकात् कति क्रियाः? गौतम ! यथैव आद्यदण्डकस्तथैव भणितव्यः,यावद् वैमानिकाद इति, जीवा:खलु भदन्त!जीवेभ्य: कति क्रियाः ? गौतम! त्रिक्रिया अपि, चतुष्क्रिया अपि पञ्चक्रिया अपि, अक्रिया अपि, (गोयमा ! सिय तिकिरिए) हे गौतम ! कदाचित् तीन क्रियावाला (सिय चउकिरिए) कदाचित् चारक्रिया वाला (सिय अकिरिए) कदाचित् क्रिया रहित (एवं जहेव पढमो दंडओ) इस प्रकार जैसा प्रथम दंडक (तहा एसो बितिओ भाणियव्यो) वैसा ही दूसरा दंडक कहना चाहिए (जाव वेमाणियत्ति) यावत वैमानिक पर्यन्त ।
(जीवा णं भंते ! जीवाओ का किरिया ?) हे भगवन् ! बहुत जीव एक जीव से कितनी क्रिया वाले होते हैं ? (गोयमा ! सिय तिकिरिया वि) कदाचित तीन क्रियावाले भी होते हैं (सिय चउकिरिया वि) कदाचित् चार क्रियावाले भी (सिय पंचकिरिया वि) कदाचित् पांच क्रियावाले भी। (सिय अकिरिया) कदाचित अक्रियभी होते हैं ।
(जीवा णं भंते ! नेरइयाओ कइ किरिया ?) हे भगवन् ! जीव नारक के निमित्त से कितनी क्रियावाले होते हैं ? (गोयमा ! जहेव आदिल दंडओ) हे गौतम! जैसे पहला दंडक कहा है (तहेव भाणियव्वो) वैसा ही कहना चाहिए (जाव वेमाणियत्ति) यावत् वैमानिक ।
(जीवाणं भंते ! जीवेहितो कइ किरिया ?) हे भगवन् ! जीव जीवों के निमित्त से कितनी क्रियाओं वाले होते हैं ? (गोयमा ! तिकिरिया वि) हे किरिए) ४ाय या ठियावाणा (सिय अकिरिए) ४ाय लियाथी २हित (एवं जहेव पढमो दडओ) माशते म पड़ेसो ४४ ४६यो छे. (तहा एसों बितिओ भाणियब्धो,) मे प्रमाणे या भील ६४ ५९ वा. (जाव वेमाणियत्ति,) यावत मानि पन्त (जीवाणं भंते ! जीवाओ कइकिरिया) 3 मावन धामा।
24 सी ठियावाडाय छ? (गोयमा! सिय ति किरिया वि) गौतम! हाय त्रजियावाणा ५५ डाय छे. (सिय चउ किरिया वि) हाय या२ उियावाणा पण हाय छे. (सिय पंच किरिया वि!) हाय पांय जियावा ५५ हाय छ (सिय अकिरिया वि) हाय यात पण हाय छे (जीवाण भंते ! नेरइयाओ कइ किरिया) भगवन् ! ना२४ना निमित्तथी डेटा यावा डाय छ? (गोयमा ! जहेव आदिल्लदंडओ) 3 गौतम म पडसा ६४ या छे, (तहेव भाणियव्वो) मे प्रमाणे मान समयमा सभा सेवोनस (जाव वेमाणियत्ति) हेवा यावत् वैमानि ५- ( जीवाण भंते ! जीोहिं तो कइ किरिया ? ) हे भगवन ७५ ०वाना निमित्तथा उसी जियावालय छे ? (गोयमा ! तिकिरिया वि) 3 गौतम ! १५ यिावामा ५९ (चउ किरिया वि! ) या२ डियाया॥ ५७ (पंकिरिया वि,) पांय याचा ५९ (अकिरया वि) अडिय
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫