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प्रमेयबोधिनी टीका पद २३ सू० १४ उत्कृष्टकालस्थितिकं ज्ञानावरणीयकर्मबन्धनि० ४४७ कीदृशः खलु भदन्त ! तिर्यग्योनिक उत्कृष्ट स्थितिकम् आयुष्यं कर्म बध्नाति ? गौतम ! कर्मभूमगो वा कर्मभूमगप्रतिभागी वा संज्ञो पञ्चेन्द्रियः सर्वाभिः पर्याप्तिभिः पर्याप्तकः साकारो जाग्रत् श्रुतोपयुक्तो मिथ्यादृष्टिः परमकृष्णलेश्यः उत्कृष्टसंक्लिष्टपरिणाम:, ईदृशः खलु गौतम ! तिर्यग्योनिकः उत्कृष्ट कालस्थितिकम् आयुष्यं कर्म बध्नाति, कीदृशः खलु भदन्त ! मनुष्यः उत्कृष्ट कालस्थितिकम् आयुष्यं कर्म बध्नाति ? गौतम ! कर्मभूमगो वा कर्मभूमगप्रतिभागी वा यावत् श्रुतोपयुक्तः सम्यग्दृष्टि, मिथ्या दृष्टिा कृष्णलेश्यो वा स्सी वि बंधइ) मनुष्यस्त्री भी बांधती है (नो देयो बंधइ नो देवीबधइ) देव नहीं बांधता, देवी नहीं बांधती।
(केरिसए णं भंते ! तिरिक्खजोणिए उक्कोसठितीयं आउयं कम्मं बंधइ ?) हे भगवन् ! किस प्रकार का तिथंच उत्कृष्ट स्थिति वाला आयु कर्म बांधता है: (गोयमा ! कम्मभूमए वा कम्मभूमग पलि भागी वा) हे गौतम ! कर्मभूमिज या कर्मभूमिज के समान (संणो) संज्ञो (पंचिदिए) पंचेन्द्रिय (सव्याहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्तए) सब पर्यासियों से पर्याप्त (सागारे) साकार उपयोग चाला (जागरे) जागृत (सुत्तोवउत्ते) श्रुत में उपयोगवान् (मिच्छद्दिट्टी) मिथ्यादृष्टि (परम कण्हलेसे) परम कृष्णलेश्यावाला (उक्कोससंकिलिट्ठपरिणामे) उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त परिणाम वाला (एरिसए णं गोयमा ! तिरिक्खजोणिए) हे गौतम ! इस प्रकार का तियेच (उकोसहिईयं आउयं कम्मं बंधइ) उत्कृष्ट स्थितियाले आयु कर्म को बांधता है।
(केरिसए णं भंते ! मणूसे उक्कोसहिईयं आउयं कम्मं बंधइ ?) हे भगवन् ! किस प्रकार का मनुष्य उत्कृष्ट स्थितियाले आयु कर्म को बांधता है ? (गोयमा! कम्मभूमए वा कम्मभूभग पलि भागी चा जाय सुत्तोवउत्ते) हे गौतम ! कर्ममनुष्य ५ए। मांधे छ (माणुस्सी वि बंधइ) मनुष्याणी ५५ पांधे छ (नो देवा बधइ नो देवी बंधइ) व नथी माता, हेवी नथा मांधती.
(केरिसए णं भंते ! तिरिक्ख जोणिए उक्कोसदिइयं आउयं कम्मं बंधइ ?) भगवन् ! 341 प्र॥२॥ तिय य ४५ स्थितिमा मायुभ सांधे छ ? (गोयमा ! कम्मभूमए वा कम्म भूमग पलिभागी वा)-3 गौतम ! म भूमि २४ मा ४ भिना समान (सण्णी) सभी (पंचिदिए) ५येन्द्रिय (सव्याहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्तए) स पारितयोथी पात(सागारे) स।४।२-उपयोगया (जागरे) Mya (सुत्तोवउत्ते) श्रुतमा ५योगवान्
(मिच्छदिट्ठि) मिथ्याटि (परमकण्हलेसे) ५२५ शुखेश्यााणा (उक्कोससंकिलिट्ठपरिणामे) Brbट सवेश युक्त परिमाण (एरिसए णं गोयमा ! तिरिक्खजोणिर)-हे गौतम ! मे प्रा२ना तिय य (उकोसदिइये आउयं कम्मं बंधइ) उत्कृष्ट स्थितिमा मायुधमन सांधे छ.
(केरिसएणं भंते ! मणूसे उक्कोसठिइयं आउयं कम्मं बधई !)-डे भगवन् ! 40 प्र४२न। मनुष्य उष्ट स्थितिमा आयुभन मांध छ-(गोयमा ! कम्मभूमए वा कम्मभूमगपलि
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫