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प्रमेयबोधिनी टीका पद २३ सू० १४ उत्कृष्टकालस्थितिकं ज्ञानावरणीयकर्मबन्धनि० ४४५ बध्नाति, देवी बध्नाति ? गौतम ! नेरयिकोऽपि बध्नाति यावद् देव्यपि बध्नाति, कीदृशः खल्लु भदन्त ! नैरयिक उत्कृष्टकालांस्थतिकं ज्ञानावरणीयं कर्म बध्नाति ? गौतम ! संज्ञी. पश्चेन्द्रियः सर्वाभिः प्रर्याप्तिभिः पर्याप्तः साकारो जाग्रत् श्रुतोपयुक्तो मिथ्यादृष्टिः कृष्णलेश्यश्च उत्कृष्ट संक्लिष्टपरिणामः, ईषद्मध्यमपरिणामो वा, ईदृशः खलु गौतम ! नैरयिकः उत्कृष्टकालस्थितिकं ज्ञानावरणीयं कर्म बध्नाति, कीदृशः खलु भदन्त ! तिर्यग्योनिक उत्कृष्टक्खजोणिओ बंधइ ?) तिर्यच बांधता है ? (तिरिक्खजोणिणो बंधइ) तियचिनी बांधती है ! (मणुस्सो बंधइ ?) मनुष्य बांधता है ? (माणुस्सिणी बंधइ ?) मनुष्यस्त्री बांधती है ? (देवो बंधइ ?) देव बांधता है ? (देवी बंधई ?) देवी बांधती है ? (गोयमा । नेरइओ वि बंधइ जाव देवी वि बंधइ) हे गौतम ! नारक भी बांधता है यावत देवी भी बांधती है (केरिसए गं भंते ! नेरइए उकोसकालठिइयं णाणा. वरणिज्ज कम्मं बंधइ ?) हे भगवन् ! किस प्रकार का नारक उत्कृष्ट स्थितिवाला ज्ञानावरणीय कर्म बांधता है ? (गोयमा ! सण्णी पंचिदिए सव्याहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्ते) हे गौतम ! संज्ञी, पंचेन्द्रिय, समस्त पर्याप्तियों से पर्याप्त (सागारे) साकारोपयोग वाला (जागरे) जाग्रत् (सुत्तोव उत्त) श्रुत में उपयोगवान् (मिच्छादिट्टी) मिथ्यादृष्टि (कण्हलेसे य) कृष्णलेश्यावान् (उक्कोससंकिलिट्ठपरिणामे) उत्कृष्ट संक्लिष्ट परिणाम वाला (ईसिमज्झिमपरिणामे वा) अथवा किंचित् मध्यम परिणाम चाला (एरिसए णं गोयमा नेरइए) हे गौतम ! इस प्रकार का नारक (उक्कोसकालटिइयं णाणावरणिज्ज कम्मं बंधइ) उत्कृष्ट स्थिति वाले ज्ञानावरणीय कर्म को बांधता है। ami ज्ञानावणीय भ (किं नेरइओ बंधइ) शुन।२५ मांधे छ ? (तिरिक्खजोणिओ बंधइ ?) तय योनि मांधे छ ? (तिरिक्खजोणिणी बंधइ ?) तिय"यिनी माधे छे (मणुस्सो बंधइ) मनुष्य मांधे छ ? (मणुस्सिणी बंधइ ?) मनुष्यत्री मांधे छे ? (देवा बंधइ) हेये। मांधे छ (देवी बंधइ ) हेपी मांधे छ ? (गोयमा ! नेरइओ वि बंधइ जाव देवी वि बंधइ) हे गौतम ! નારક પણ બાંધે છે. યાવત્ દેવી પણ બાંધે છે ?
(केरिसिए णं भंते ! नेरइए उक्कोसकालद्विइयं णाणावरणिज्ज कम्मं बंधइ)- भावन् ! या प्रसारे न॥२४ Gष्ट स्थितिवाणा ज्ञानावणीय भ मांधे छ ? (गोयमा ! सण्णी पंचिं. दिए सवाहि पज्जत्तीहिं पज्जत्ते) ३ गौतम ! सशी ५'येन्द्रिय, समस्त पयस्तियोथा ५ति (सागारे) सा२।५यो। पा. (जागरे) and (सुत्तोवउत्ते) श्रुतमा उपयोगवान (मिच्छादिदी) (मथ्याष्टि (कण्हलेसे य) वेश्यावान् (उकोससंकिलिटुपरिणामे) अष्ट ACave परिमाण (ईसिमज्झिमपरिणामे वा) 4441 यित् मध्यम परिणामवाणा (एरिसए णं गोयमा ! नेरइए) हे गौतम ! से प्र४२ना ना२४ (उकोसकालद्विइयं णाणावर णिज्ज कम्मं बंधइ) कृष्ट स्थितिवाणा शानाय भने मांधे .
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫