SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद २२ सू ८ प्राणातिपातविरमणनिरूपणम् अबंधए वा १, अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधना य अट्टविहबंधए य छबिहबंधए वा अबंधगाय,२ अहवा सत्तविएबंधगाय एगविहबंधगाय अट्टविहबंधएयछविहबंधगा यअबंधए य,३,अहवा सत्तविहबंधगाय एगविह धगाय अटुविहबंधए वा छबिहबंधगाय,अबंधगा य४, अहवा सत्तविहबंधगाय एगविबंधगाय अट्टविहबंधगा य छबिहबंधए य अबंधए य,५ अहवा सत्तविबंधगा यएगविहवंधगा य अहविहबंधगाय छविबंधगे य अबंधगा य ६, अहवा सत्तविहबंधगा यएगविहबंधगा य अटविहबंधगाय छबिहबंधगाय अबंधए य७,अहवा सत्तविहबंधगाय एगविहबंधगा य अविहबंधगाय छबिहबंधगा य अबंधगा य८,एवं एए अट्ठभंगा, मव्वे वि मिलिया सत्तावीसं भंगा भवंति, एवं मणूमाण वि एए चेव सत्तावीसं भंगा भाणियव्या, एवं मुसावायविरयस्स जाव मायामोसविरयस्म जीवस्स य मणुसस्स य, मिच्छादसणसल्ल विरए णं भंते! जीवे कइ कम्मपगडीओबंधति ? गोयमा!सत्तविह बंधए वा अविहबंधए वा छबिहबंधवाए वा एगविहबंधए वा अबंधए वा मिच्छादसणसल्लविरएणं भंते ! नेरइए कइ कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिए, मणूसे जहा जीवे वाणमंतरजोइसियवेमाणिए जहा नेर इए, मिच्छादंमणसल्लविरया णं भंते! जीवा कइ कम्मपगडीओ वंधति? गोयमा ते चेव ! सत्तावीसं भंग भाणियब्वा, मिच्छादसणसल्लविरया णं भंते! नेरइया कइ कम्म पगडोओ बंधति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्ज सत्तविहबंधगा, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्रविहवंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य, एवं जाव वेमाणिया,णवरं मणूमाणं जहा जीवाणं" ।। सू. ८॥ ___ छाया- प्राणातिपातविरतः खलु जीवः कति कर्मप्रकृती: वघ्नाति ? गौतम ! प्राणानिपात विरतवक्तव्यता शब्दार्थ :- ( पाणाइबायविरए णं भंते ! जीये कइ कम्मपनडीओ बंधइ' ) हे શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫
SR No.006350
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages1173
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy