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प्रमेयबोधिनी टीका पद २२ सू. ६ क्रियाविशेषनिरूपणम् कति क्रियाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! पश्च क्रियाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-आरम्भिकी यावद मिथ्यादर्शनप्रत्यया, एवं यावद वैमानिकानाम, यस्य खलु भदन्त ! जीवस्य आरम्भिकी क्रिया क्रियते तस्य पारिग्रहिकी किं क्रियते ? यस्य पारिग्रहिकी क्रिया क्रियते तस्य आरम्भिकी क्रिया क्रियते ? गौतम ! यस्य खलु जीवस्य आरम्भिकी क्रिया क्रियते तस्य पारिग्रहिकी स्यात क्रियते स्यात् नो क्रियते, यस्य पुनः पारि ग्रहिकी क्रिया क्रियते तस्य आरम्भिकी क्रिया नियमात् क्रियते, यस्य खलु भदन्त !
(नेरइयाण भते! कइ किरियाओ पण्णत्ताओ ?) हे भगवन् ! नारक जीवों को कितनी क्रियाएँ कही हैं (गोयमा पंच किरियाओ पण्णत्ताओ)हे गौतम! पांच क्रियाएँ कही है (त जहा-आरंभिया जाव मिच्छादंसणवत्तिया) वे इस प्रकार आरंभिकी यावत मिथ्यादर्शनप्रत्पया (एवं जाव वेमाणियाणं) इसी प्रकार यावत् वैमानिकों को पांच क्रियाएँ कही हैं
(जस्सणं भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स परिग्गहिया किं कज्जइ ?) हे भगवन् जिस जीवात्मा को आरंभिकी क्रिया होती हैं, क्या उसे पारिग्रहिकी भी होती है ? (जस्स परिग्गहिया किरिया कज्जइ तस्स आरंभिया किरिया कज्जइ ?) जिसको पारिग्रहिकी क्रिया होती है, उस को आरंभिकी क्रिया होती हैं ?
__(गोयमा ! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स परिग्गहिया सिय कज्जइ सिय नो कज्जइ) हे गौतम! जिस जीव को आरंभिकी क्रिया होती हैं उसको पारिग्रहिकी क्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं होती ( जस्स पुण परिग्गहिया किरिया कज्जा तस्स आरंभिया किरिया नियमा कज्जइ ) जिस जीव को पारिग्रहिकी क्रिया होती है, उसे आरंभिकी क्रिया नियम से होती है। अण्णयरस्स वि मिच्छादंसणियस्स ) 5 ५५ भयाल्टिने याय छ.
(नेर इयाण भंते! कइ किरियाओ पण्णताओ?) भगवन् ! ना२४ पाने की टिया-मोडीछ? (गोयमा! पंच किरियाओ पपणत्ताओ) गौतम पांय लिया। ही छ (तं जहा-आरंभिया जाय मिच्छादसणवत्तिया) ते मा४॥२-मालिटी यावत् मिथ्याशन प्रत्यया ( एवं जाव वेमाणियाण) એજ પ્રકારે યાવત વૈમાનિકાની પાંચ ક્રિયાઓ કહી છે.
(जस्स णं भते! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स परिग्गहिया कि कज्जइ?) भगवन् !
सपने मामिडी छिया थाय छ, शुत पारिणि थाय छ ? (जस्स परिग्गहिया किरिया कज्जइ तस्स आरंभिया किरिया कज्जइ १) ने पारिवाडि जिया हाय छे. तेने सारભિકી કિયા હેય છે?
(गोंयमा ! जस्सण जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स परिग्गहिया सिय कज्जइ सिय नो कज्जइ) गौतम ने वने २ मिडी लिया हाय छेतेने पारिश्रमिक डिया हायित् हाय छ, अने हाथित् नथा लेती (जस्स पुण परिग्गहिया किरिया कज्जइ तस्स आरंभिया किरिया णियमा कज्जइ) 04ने पारिश्रहिया थाय छ, तेने मामिडी यि नियमयीं हाय छ
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫