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________________ प्रमेयषोधिनी टीका पद १७ ० ९ लेश्याविशेषनिरूपणम् ७९ गौतम ! एका तेजोलेश्या, एतेषां खलु भदन्त ! जीवानां सलेश्यानां कृष्णलेश्यानां यावत्शुक्ललेश्यानाम् अश्यानाञ्च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा तुल्या वा विशेषाधिका था ? गौतम ! सर्वस्तोका जीवाः शुक्लेश्याः, पद्मलेश्याः संख्येयगुणाः, तेजोलेश्याः संख्येयगुणाः, अलेया अनन्तगुणाः, कापोतलेश्या अनन्तगुणाः, नीललेश्या विशेषाधिकाः, कृष्णलेश्या विशेपाधिकाः, सलेश्या विशेषाधिकाः || सू० ९ ॥ टीका-3 - अथ लेश्यां प्ररूपयितुं द्वितीयोद्देशं प्रारभते- 'करणं भंते ! लेस्साओ पण्णत्ताओ ?' लेस्सा, पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा) वे इस प्रकार - तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या (वैमाणिणीणं पुच्छा ?) वैमानिक देवियों संबंधी पृच्छा ? (गोयमा ! एगा तेउलेस्सा) हे गौतम ! एक तेजोलेश्या । ( एतेसि णं भंते! जीवाणं सलेस्साणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साणं अलेस्साण य) हे भगवन् ! इन सलेश्य, कृष्णलेश्यावाले यावत् शुक्ललेश्यावाले और अलेश्य जीवों में ( कयरे कयरेहिंतो) कौन किससे (अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? (गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सुक्कलेस्सा) हे गौतम ! सब से कम जीव शुक्ललेवाले हैं (पम्हलेस्सा संखेज्जगुणा) पद्मलेश्यावाले संख्यातगुणा (तेउलेस्सा संखेज्जगुणा) तेजोलेश्यावाले संख्यातगुणा (अलेस्सा अनंतगुणा) अलेश्य अनन्तगुणा (काउलेस्सा अनंतगुणा) कापोत लेश्यावाले अनन्तगुणा (नीललेस्सा विसेसाहिया) नललेइयावाले विशेषाधिक (कण्हलेस्सा विसेसाहिया) कृष्णलेइयावाले विशेषाधिक (सलेस्सा विसेसाहिया) सलेश्य विशेषाधिक । टीकार्थ - अब लेश्या की प्ररूपणा करने के लिए द्वितीए उद्देशक आरंभ किया हे गौतम! त्रशु सेश्याम उही छे. (तं जहा - तेउलेस्सा, पम्हुलेस्सा, सुक्कलेस्सा) तेया रीते तैलेोश्या, चहम बेश्या भने शुहससेश्या (बेमाणिणीणं पुच्छा वैमानि देवियो सन्धी पृच्छा (गोयमा ! एगा तेउलेस्सा) हे गौतम ! उसी तेजेोश्या. (एएसिणं भंते! जीवाणं सलेस्साणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साणं अलेस्साणय) हे ભગવન્ ! આ સલૈશ્ય, ક્રુષ્ણવેશ્યાવાળા યાવત્ શુકલલેશ્યાવાળા અને અલૈશ્ય જીવામાં (करे करे हिंतो ) अणु अनाथी (अप्पावा, बहुयावा, तुल्लावा, बिसेसाहिया वा ?) अप तुझ्य अथवा विशेषाधिष्ठ छे ? (गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सुकलेस्सा) हे गौतम! मधाथीम।छा व शुकुस श्यावाणा (पम्हलेस्सा संखेज्जगुणा ) पझेश्यावाणा संख्यातगु (तेउलेस्सा संखेज्जगुणा) तेलेवेश्यात्रामा सभ्याता (अलेस्सा अनंतगुणा ) असेश्य अनन्त ए (काउलेस्सा अनंतगुणा ) अपोतसेश्यावाणा अनन्तगणा (नीललेस्सा विसेसाहिया) नीससेश्या विशेषाधि ( कण्हलेस्सा विसेसाहिया ) कृष्णुलेश्यावाणा विशेषाधि ( सलेस्सा बिसेसाहिया) सदेश्य विशेषाधि श्री प्रज्ञापना सूत्र : ४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
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